1840 के दशक में फ्रांस में विकसित होकर, यथार्थवाद ने वास्तविक जीवन की घटनाओं और सामाजिक वर्गों पर ध्यान केंद्रित किया जिनकी ओर शास्त्रीय कला का ध्यान नहीं था। यह पहला आंदोलन था जिसने रोजमर्रा की जिंदगी और आधुनिक दुनिया पर ध्यान केंद्रित किया।
यथार्थवाद (realism) से तात्पर्य उस विचारधारा से है जो कि उस वस्तु एवं भौतिक जगत को सत्य मानती है, जिसका हम ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं।
नवयथार्थवाद या संरचनात्मक यथार्थवाद तरराष्ट्रीय संबंधों का एक सिद्धांत है जो कहता है कि शक्ति अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण कारक है। इसे सबसे पहले केनेथ वाल्ट्ज ने 1979 की अपनी पुस्तक थ्योरी ऑफ़ इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में I
यथार्थवाद के प्रवर्त्तक हंगरी के प्रसिद्ध दार्शनिक और साहित्यिक आलोचक जॉर्ज लुकाच माने जाते हैं। यथार्थवाद मुख्य रूप से सत्य पर बल देने वाली विचारधारा है। इस विचारधारा के अंतर्गत यथार्थवाद के कई रूप देखने को मिलते हैं।
सामाजिक यथार्थवाद का सम्बंध सामाजिक यथार्थवाद से है। यह एक अंतराष्ट्रीय कला आन्दोलन है। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में यूरोपीय देशों में चित्रकारों, फोटोग्राफरों तथा फिल्म निर्माताओं ने उसकी शुरुआत की।
यथार्थवाद (realism) से तात्पर्य उस विचारधारा से है जो कि उस वस्तु एवं भौतिक जगत को सत्य मानती है, जिसका हम ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं।
नवयथार्थवाद या संरचनात्मक यथार्थवाद तरराष्ट्रीय संबंधों का एक सिद्धांत है जो कहता है कि शक्ति अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण कारक है। इसे सबसे पहले केनेथ वाल्ट्ज ने 1979 की अपनी पुस्तक थ्योरी ऑफ़ इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में I
यथार्थवाद के प्रवर्त्तक हंगरी के प्रसिद्ध दार्शनिक और साहित्यिक आलोचक जॉर्ज लुकाच माने जाते हैं। यथार्थवाद मुख्य रूप से सत्य पर बल देने वाली विचारधारा है। इस विचारधारा के अंतर्गत यथार्थवाद के कई रूप देखने को मिलते हैं।
सामाजिक यथार्थवाद का सम्बंध सामाजिक यथार्थवाद से है। यह एक अंतराष्ट्रीय कला आन्दोलन है। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में यूरोपीय देशों में चित्रकारों, फोटोग्राफरों तथा फिल्म निर्माताओं ने उसकी शुरुआत की।