इसमें सजावटी सिलाई और कपड़े से सम्बंधित हस्तशिल्प शामिल हैं। जहाँ भी कुछ बनाने के लिए एक सूई का उपयोग होता है, उसे सूई की कारीगरी (नीडल-वर्क) कहा जा सकता है।
कढ़ाई-बुनाई कहने को गुजरे जमाने की परंपरा हो गई। एक वक्त था जब घर की बुर्जुग महिलाएं अपनी बेटियों और घर की बहुओं को सुई धागे के साथ सिलाई-कढ़ाई का पारंपरिक ज्ञान दिया करती थीं। सूती कपड़ों, थैलों और चादर व तकियों पर हाथ से की गई कारीगरी आज शायद ही कहीं दिखाई देती हो।
कढ़ाई-बुनाई कहने को गुजरे जमाने की परंपरा हो गई। एक वक्त था जब घर की बुर्जुग महिलाएं अपनी बेटियों और घर की बहुओं को सुई धागे के साथ सिलाई-कढ़ाई का पारंपरिक ज्ञान दिया करती थीं। सूती कपड़ों, थैलों और चादर व तकियों पर हाथ से की गई कारीगरी आज शायद ही कहीं दिखाई देती हो। विज्ञापन मेहनत से किए गए इस महीन काम को जैसे भुला दिया गया है। वैसे पिछले कुछ वर्षों में हाथ से की गई कारीगरी का फैशन फिर से दिखने लगा है। आज परिधानों पर की जाने वाली कढ़ाई पर भले ही मशीनों का कब्जा हो गया हो लेकिन फैशन की दुनिया ने इसे फिर से जिंदा कर दिया है।
चिकन लखनऊ की प्रसिद्ध शैली है कढाई और कशीदा कारी की। यह लखनऊ की कशीदाकारी का उत्कृष्ट नमूना है और लखनवी ज़रदोज़ी यहाँ का लघु उद्योग है जो कुर्ते और साड़ियों जैसे कपड़ों पर अपनी कलाकारी की छाप चढाते हैं।
१. पक्के लोहे का छोटा पतला तार जिसके एक छोर में बहुत बारीक छेद होता है और दूसरे छोर पर तेज नोक होती है । छेद में तागा पिरोकर इससे कपड़ा सिया जाता है । सूची । यौ॰—सूई तागा । सूई डोरा । सूई का काम=सूई से बनाई हुई कारीगरी जो कपड़ों पर होती है ।
वरुण धवन और अनुष्का शर्मा की नई फिल्म सुई धागा, जो उद्यमिता और आत्मनिर्भरता के सशक्त प्रभाव का जश्न मनाती है, 7 अगस्त को राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस पर अपना अभियान शुरू करेगी. वरुण फिल्म में एक दर्जी और अनुष्का एक एम्ब्रोइडर का रोल निभा रही है. इन दोनों के पात्र एक साथ मिल कर उस भारतीय …
भारतीय उत्सवों एवं अनुष्ठानों को बड़े भव्य तरीके से मनाते हैं। हरेक अवसर पर स्वर्ण आभूषण सहित नए परिधान और सौंदर्य सामग्रियां खरीदीं जाती हैं। परिधानों के किनारों को अक्सर ज़री (स्वर्ण पट्टी) के साथ सोने की तांत की कशीदाकारी से सजाया जाता है।
कढ़ाई-बुनाई कहने को गुजरे जमाने की परंपरा हो गई। एक वक्त था जब घर की बुर्जुग महिलाएं अपनी बेटियों और घर की बहुओं को सुई धागे के साथ सिलाई-कढ़ाई का पारंपरिक ज्ञान दिया करती थीं। सूती कपड़ों, थैलों और चादर व तकियों पर हाथ से की गई कारीगरी आज शायद ही कहीं दिखाई देती हो।
कढ़ाई-बुनाई कहने को गुजरे जमाने की परंपरा हो गई। एक वक्त था जब घर की बुर्जुग महिलाएं अपनी बेटियों और घर की बहुओं को सुई धागे के साथ सिलाई-कढ़ाई का पारंपरिक ज्ञान दिया करती थीं। सूती कपड़ों, थैलों और चादर व तकियों पर हाथ से की गई कारीगरी आज शायद ही कहीं दिखाई देती हो। विज्ञापन मेहनत से किए गए इस महीन काम को जैसे भुला दिया गया है। वैसे पिछले कुछ वर्षों में हाथ से की गई कारीगरी का फैशन फिर से दिखने लगा है। आज परिधानों पर की जाने वाली कढ़ाई पर भले ही मशीनों का कब्जा हो गया हो लेकिन फैशन की दुनिया ने इसे फिर से जिंदा कर दिया है।
चिकन लखनऊ की प्रसिद्ध शैली है कढाई और कशीदा कारी की। यह लखनऊ की कशीदाकारी का उत्कृष्ट नमूना है और लखनवी ज़रदोज़ी यहाँ का लघु उद्योग है जो कुर्ते और साड़ियों जैसे कपड़ों पर अपनी कलाकारी की छाप चढाते हैं।
१. पक्के लोहे का छोटा पतला तार जिसके एक छोर में बहुत बारीक छेद होता है और दूसरे छोर पर तेज नोक होती है । छेद में तागा पिरोकर इससे कपड़ा सिया जाता है । सूची । यौ॰—सूई तागा । सूई डोरा । सूई का काम=सूई से बनाई हुई कारीगरी जो कपड़ों पर होती है ।
वरुण धवन और अनुष्का शर्मा की नई फिल्म सुई धागा, जो उद्यमिता और आत्मनिर्भरता के सशक्त प्रभाव का जश्न मनाती है, 7 अगस्त को राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस पर अपना अभियान शुरू करेगी. वरुण फिल्म में एक दर्जी और अनुष्का एक एम्ब्रोइडर का रोल निभा रही है. इन दोनों के पात्र एक साथ मिल कर उस भारतीय …
भारतीय उत्सवों एवं अनुष्ठानों को बड़े भव्य तरीके से मनाते हैं। हरेक अवसर पर स्वर्ण आभूषण सहित नए परिधान और सौंदर्य सामग्रियां खरीदीं जाती हैं। परिधानों के किनारों को अक्सर ज़री (स्वर्ण पट्टी) के साथ सोने की तांत की कशीदाकारी से सजाया जाता है।