हिंदुओं के कुछ प्रमुख त्योहारों जैसे होली, दशहरा और दिवाली के साथ-साथ सिख अलग तरीके से अपने त्योहार मनाते हैं। सिखों के मुख्य त्योहारों में भगवान की पूजा इतनी महत्वपूर्ण नहीं है। इसके बजाय, वे 10 सिख गुरुओं की उपलब्धियों और उनके उपदेशों के जीवन में महत्व का जश्न मनाते हैं
सिख धर्म (खालसा या सिखमत ;पंजाबी: ਸਿੱਖੀ) 15वीं सदी में भारतीय हिंदू समाज संत परंपरा से निकला एक पन्थ है,[1] जिसकी शुरुआत गुरु नानक देव ने की थी। इसमें सनातन धर्म का व्यापक प्रभाव मिलता है। इस पन्थ के अनुयायीयों को सिख कहा जाता है।
Baisakhi 2020: बैसाखी से पकी हुई फसल को काटने की शुरुआत हो जाती है. 13 अप्रैल 1699 के दिन सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसके साथ ही इस दिन को मनाना शुरू किया गया था. आज ही के दिन पंजाबी नए साल की शुरुआत भी होती है.
बैसाखी का त्योहार वैसे तो पूरे देश में हर धर्म के लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं लेकिन इस त्योहार पर सिख संप्रदाय और हिंदू संप्रदाय के लोग जिस जोश के साथ मनाते हैं वह कहीं और देखने को नहीं मिलता। अंग्रेजी कलैंडर के हिसाब से हर साल यह त्योहार 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
सिख धर्म की स्थापना और फसल पकने के प्रतीक के रूप में बैसाखी मनाई जाती है, पंजाबी नए साल की शुरुआत भी आज ही के दिन होती है। बैसाखी की सबसे बड़ी खास बात ये है कि ये हर साल 13 या 14 अप्रैल को ही मनाई जाती है, बैसाख माह के प्रथम दिन बडे़ ही हर्षोल्लास के साथ ये त्योहार मनाया जाता है। इस साल 13 अप्रैल को बैसाखी उत्सव मानया जा रहा है। आइए जानते हैं क्यों मनाई जाती है बैसाखी.. गुरु गोविंद सिंह ने आज ही के दिन रखी खालसा पंथ की नींव :- सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में वर्ष 1699 में खालसा पंथ की नींव रखी।
सिख धर्म (खालसा या सिखमत ;पंजाबी: ਸਿੱਖੀ) 15वीं सदी में भारतीय हिंदू समाज संत परंपरा से निकला एक पन्थ है,[1] जिसकी शुरुआत गुरु नानक देव ने की थी। इसमें सनातन धर्म का व्यापक प्रभाव मिलता है। इस पन्थ के अनुयायीयों को सिख कहा जाता है।
Baisakhi 2020: बैसाखी से पकी हुई फसल को काटने की शुरुआत हो जाती है. 13 अप्रैल 1699 के दिन सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसके साथ ही इस दिन को मनाना शुरू किया गया था. आज ही के दिन पंजाबी नए साल की शुरुआत भी होती है.
बैसाखी का त्योहार वैसे तो पूरे देश में हर धर्म के लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं लेकिन इस त्योहार पर सिख संप्रदाय और हिंदू संप्रदाय के लोग जिस जोश के साथ मनाते हैं वह कहीं और देखने को नहीं मिलता। अंग्रेजी कलैंडर के हिसाब से हर साल यह त्योहार 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
सिख धर्म की स्थापना और फसल पकने के प्रतीक के रूप में बैसाखी मनाई जाती है, पंजाबी नए साल की शुरुआत भी आज ही के दिन होती है। बैसाखी की सबसे बड़ी खास बात ये है कि ये हर साल 13 या 14 अप्रैल को ही मनाई जाती है, बैसाख माह के प्रथम दिन बडे़ ही हर्षोल्लास के साथ ये त्योहार मनाया जाता है। इस साल 13 अप्रैल को बैसाखी उत्सव मानया जा रहा है। आइए जानते हैं क्यों मनाई जाती है बैसाखी.. गुरु गोविंद सिंह ने आज ही के दिन रखी खालसा पंथ की नींव :- सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में वर्ष 1699 में खालसा पंथ की नींव रखी।