झारखंड के विभिन्न त्योहार भारतीय उपमहाद्वीप के 28 वें राज्य को आत्मा के आध्यात्मिक उत्सव के रूप में मनाते हैं। झारखंड राज्य में उत्सव बड़े उत्साह और पारंपरिक उत्साह के साथ चिह्नित हैं। झारखंड देश में होने वाले लगभग सभी त्योहारों में भाग लेता है।
झारखंड में कुल ३२ जनजातियाँ मिलकर रहती हैं। एक विशाल सांस्कृतिक प्रभाव होने के साथ-साथ, झारखंड यहाँ के मनाये जाने वाले अपने त्योहारों की मेजबानी के लिए जाना जाता है। इसके उत्सव प्रकृति के कारण यह भारत की ज्वलन्त आध्यात्मिक कैनवास पर भी कुछ अधिक रंग डालता है।
यह उत्सव चैत्र महीने के तीसरे दिन चैत्र शुक्ल तृतीया पर मनाया जाता है। यह पर्व नये साल की शुरुआत का प्रतीक है। यह वार्षिक महोत्सव वसंत ऋतु के दौरान मनाया जाता है एवम् पेड़ और प्रकृति के अन्य तत्वों की पूजा होती है
झारखंड में कुल ३२ जनजातिया मिलकर रह्ती है। एक विशाल सांस्कृतिक प्रभाव होने के साथ साथ, झारखंड यहाँ के मनाये जाने वाले त्योहारों की मेजबानी के लिए जाना जाता है। इसके उत्सव प्रकृति के कारण यह भारत की ज्वलंत आध्यात्मिक कैनवास पर भी कुछ अधिक रंग डालता है। यह राज्य प्राचीन काल के संदर्भ में बहुत मायने रखता है। झारखंड में पूरे मज़ा और उल्लास के साथ सभी त्योहारो को मनाया जाता है। देशभर में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों को भी झारखंड में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस राज्य में मनाये जाने वाले त्योहारों से झारखंड का भारत में सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत उपस्थिति का पता चलता है। हालाकि झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी त्योहारों के उत्सव में होता है। यहाँ की सबसे प्रमुख, उल्लास के साथ मनायी जाने वाली त्योहारो में से एक है सरहुल। . 73 संबंधों।
मनु संहिता में झारखण्ड के विषय में उल्लिखित यह श्लोक बताता है कि झारखण्ड के रहने वाले धातु के बर्तन में पानी पीते हैं। शाल के पत्तल में भोजन करते हैं एवं खजूर की चटाई पर शयन करते हैं। इतना ही नहीं झारखण्ड के निवासी झरनों का मधुर संगीत सुनते हैं।
झारखंड के विभिन्न त्योहार भारतीय उपमहाद्वीप के 28 वें राज्य को आत्मा के आध्यात्मिक उत्सव के रूप में मनाते हैं। झारखंड राज्य में उत्सव बड़े उत्साह और पारंपरिक उत्साह के साथ चिह्नित हैं। झारखंड देश में होने वाले लगभग सभी त्योहारों में भाग लेता है।
झारखंड में कुल ३२ जनजातियाँ मिलकर रहती हैं। एक विशाल सांस्कृतिक प्रभाव होने के साथ-साथ, झारखंड यहाँ के मनाये जाने वाले अपने त्योहारों की मेजबानी के लिए जाना जाता है। इसके उत्सव प्रकृति के कारण यह भारत की ज्वलन्त आध्यात्मिक कैनवास पर भी कुछ अधिक रंग डालता है।
यह उत्सव चैत्र महीने के तीसरे दिन चैत्र शुक्ल तृतीया पर मनाया जाता है। यह पर्व नये साल की शुरुआत का प्रतीक है। यह वार्षिक महोत्सव वसंत ऋतु के दौरान मनाया जाता है एवम् पेड़ और प्रकृति के अन्य तत्वों की पूजा होती है
झारखंड में कुल ३२ जनजातिया मिलकर रह्ती है। एक विशाल सांस्कृतिक प्रभाव होने के साथ साथ, झारखंड यहाँ के मनाये जाने वाले त्योहारों की मेजबानी के लिए जाना जाता है। इसके उत्सव प्रकृति के कारण यह भारत की ज्वलंत आध्यात्मिक कैनवास पर भी कुछ अधिक रंग डालता है। यह राज्य प्राचीन काल के संदर्भ में बहुत मायने रखता है। झारखंड में पूरे मज़ा और उल्लास के साथ सभी त्योहारो को मनाया जाता है। देशभर में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों को भी झारखंड में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस राज्य में मनाये जाने वाले त्योहारों से झारखंड का भारत में सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत उपस्थिति का पता चलता है। हालाकि झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी त्योहारों के उत्सव में होता है। यहाँ की सबसे प्रमुख, उल्लास के साथ मनायी जाने वाली त्योहारो में से एक है सरहुल। . 73 संबंधों।
मनु संहिता में झारखण्ड के विषय में उल्लिखित यह श्लोक बताता है कि झारखण्ड के रहने वाले धातु के बर्तन में पानी पीते हैं। शाल के पत्तल में भोजन करते हैं एवं खजूर की चटाई पर शयन करते हैं। इतना ही नहीं झारखण्ड के निवासी झरनों का मधुर संगीत सुनते हैं।