राजस्थान के मेले और त्यौहार आश्चर्यजनक रूप से शानदार राज्य, राजस्थान में ऊर्जावान रंगों में आते हैं। राजस्थान में विभिन्न मेले और त्यौहार मनाए जाते हैं।
राजस्थान में वर्ष भर हर दिन कोई ना कोई त्यौहार आता है। त्यौहार राजस्थान की संस्कृति की एक अलग पहचान है। जो राजस्थान को दूसरे राज्यों से अलग बनता है, आईये जानते है राजरथान में कौन कौन से त्यौंहार प्रमुखता से मनाये जाते है ।
देश की सांस्कृति परम्परा से जुड़े सभी त्यौहार एवं उत्सव समग्र राजस्थान एवं जयपुर में दृष्टिगोचर होते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ विशेष त्यौहार में राजस्थान की लोक संस्कृति दिखाई देती है। यहां की प्राकृतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों के कारण यहां इन त्यौहार व उत्सवों का जन्म हुआ। यहां वर्ष
राजस्थान में मुश्किल से कोई महीना ऐसा जाता होगा, जिसमें धार्मिक उत्सव न हो। सबसे उल्लेखनीय व विशिष्ट उत्सव गणगौर है, जिसमें महादेव व पार्वती की मिट्टी की मूर्तियों की पूजा 15 दिन तक सभी जातियों की स्त्रियों के द्वारा की जाती है
आखा तीज या अक्षय तृतीय – वैशाख शुक्ला 3 – राज्य में कृषक सात अन्नो तथा हल का पूजन करके शीघ्र वर्षा की कामन के साथ यह त्यौहार मनाते है | शास्त्रानुसार इस दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरम्भ माना जाता है क्योंकि इसक दिन किया हुआ तप , दान , जप , और ज्ञान अक्षय और फलदायक होता है | सम्पूर
नेवलों की पूजा
श्रावण मास की पूणिमा
हरतालिका तीज के दिन किसका पूजन किया जाता है
बड़ी तीज/सातुड़ी तीज/कजली तीज कब मनाई जाती है-
निम्न में सें इसाइयों का त्योहार नहीं है-
गोगाजी की पूजा
श्री कृष्ण भ्राता बलराम जी का जन्मात्सव हल षष्ठी कब मनाया जाता है-
नीलकंठ पक्षी का दर्शन किस त्योहार पर शुभ माना जाता है-
किस धर्म में नववर्ष का प्रारम्भ नवरोज से होता है-
राजस्थान के मेले और त्यौहार आश्चर्यजनक रूप से शानदार राज्य, राजस्थान में ऊर्जावान रंगों में आते हैं। राजस्थान में विभिन्न मेले और त्यौहार मनाए जाते हैं।
राजस्थान में वर्ष भर हर दिन कोई ना कोई त्यौहार आता है। त्यौहार राजस्थान की संस्कृति की एक अलग पहचान है। जो राजस्थान को दूसरे राज्यों से अलग बनता है, आईये जानते है राजरथान में कौन कौन से त्यौंहार प्रमुखता से मनाये जाते है ।
देश की सांस्कृति परम्परा से जुड़े सभी त्यौहार एवं उत्सव समग्र राजस्थान एवं जयपुर में दृष्टिगोचर होते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ विशेष त्यौहार में राजस्थान की लोक संस्कृति दिखाई देती है। यहां की प्राकृतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों के कारण यहां इन त्यौहार व उत्सवों का जन्म हुआ। यहां वर्ष
राजस्थान में मुश्किल से कोई महीना ऐसा जाता होगा, जिसमें धार्मिक उत्सव न हो। सबसे उल्लेखनीय व विशिष्ट उत्सव गणगौर है, जिसमें महादेव व पार्वती की मिट्टी की मूर्तियों की पूजा 15 दिन तक सभी जातियों की स्त्रियों के द्वारा की जाती है
आखा तीज या अक्षय तृतीय – वैशाख शुक्ला 3 – राज्य में कृषक सात अन्नो तथा हल का पूजन करके शीघ्र वर्षा की कामन के साथ यह त्यौहार मनाते है | शास्त्रानुसार इस दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरम्भ माना जाता है क्योंकि इसक दिन किया हुआ तप , दान , जप , और ज्ञान अक्षय और फलदायक होता है | सम्पूर
नेवलों की पूजा
श्रावण मास की पूणिमा
हरतालिका तीज के दिन किसका पूजन किया जाता है
बड़ी तीज/सातुड़ी तीज/कजली तीज कब मनाई जाती है-
निम्न में सें इसाइयों का त्योहार नहीं है-
गोगाजी की पूजा
श्री कृष्ण भ्राता बलराम जी का जन्मात्सव हल षष्ठी कब मनाया जाता है-
नीलकंठ पक्षी का दर्शन किस त्योहार पर शुभ माना जाता है-
किस धर्म में नववर्ष का प्रारम्भ नवरोज से होता है-