व्याकरणिक संरचना और प्राकृतिक संवाद का उपयोग करते हुए, गद्य एक ऐसी कहानी बताता है जो कविता की लयबद्ध संरचना पर निर्भर नहीं करता है। इसमें लघु कथाएँ, उपन्यास, लघु-उपन्यास और गद्य कविताएँ शामिल हैं।
सामान्यत: मनुष्य की बोलने या लिखने पढ़ने की छंदरहित साधारण व्यवहार की भाषा को गद्य (prose) कहा जाता है। इसमें केवल आंशिक सत्य है क्योंकि इसमें गद्यकार के रचनात्मक बोध की अवहेलना है।
हिंदी गद्य के आरंभ के संबंध में विद्वान एकमत नहीं है। कुछ 10वीं शताब्दी मांनते हैं कुछ 11 वीं शताब्दी,कुछ 13 शताब्दी। राजस्थानी एवं ब्रज भाषा में हमें गद्य के प्राचीनतम प्रयोग मिलते हैं।
गद्य— वाक्यों में बँधी ऐसी रचना, जो विचार प्रधान हो गद्य कहलाती है । पद्य— छंदवद्ध या छंदमुक्त ऐसी संगीतात्मकता युक्त रचना,जिसमें भाव एवं कल्पना की प्नधानता हो, पद्य कहलाती है ।
गद्य क्या है? गद्य साहित्य का महत्त्वपूर्ण अंग है, जिसमें छन्द अलंकार योजना रस विधान आदि का निर्वाह करना आवश्यक नहीं। गद्य की विशेषता तथ्यों को सर्वमान्य भाषा के माध्यम से, ज्यों का त्यों प्रस्तुत करने […]
हिंदी गद्य के विकास में भारतेंदु युग का महत्व I
हिंदी गद्य के विकास का पहला युग भारतेंदु युग के नाम से जाना जाता है। भारतेंदु हिंदी गद्य के प्रथम लेखक कहे जाते हैं। अतः भारतेंदु के नाम से इस युग का नामकरण हुआ।
सामान्यत: मनुष्य की बोलने या लिखने पढ़ने की छंदरहित साधारण व्यवहार की भाषा को गद्य (prose) कहा जाता है। इसमें केवल आंशिक सत्य है क्योंकि इसमें गद्यकार के रचनात्मक बोध की अवहेलना है।
हिंदी गद्य के आरंभ के संबंध में विद्वान एकमत नहीं है। कुछ 10वीं शताब्दी मांनते हैं कुछ 11 वीं शताब्दी,कुछ 13 शताब्दी। राजस्थानी एवं ब्रज भाषा में हमें गद्य के प्राचीनतम प्रयोग मिलते हैं।
गद्य— वाक्यों में बँधी ऐसी रचना, जो विचार प्रधान हो गद्य कहलाती है । पद्य— छंदवद्ध या छंदमुक्त ऐसी संगीतात्मकता युक्त रचना,जिसमें भाव एवं कल्पना की प्नधानता हो, पद्य कहलाती है ।
गद्य क्या है? गद्य साहित्य का महत्त्वपूर्ण अंग है, जिसमें छन्द अलंकार योजना रस विधान आदि का निर्वाह करना आवश्यक नहीं। गद्य की विशेषता तथ्यों को सर्वमान्य भाषा के माध्यम से, ज्यों का त्यों प्रस्तुत करने […]
हिंदी गद्य के विकास में भारतेंदु युग का महत्व I
हिंदी गद्य के विकास का पहला युग भारतेंदु युग के नाम से जाना जाता है। भारतेंदु हिंदी गद्य के प्रथम लेखक कहे जाते हैं। अतः भारतेंदु के नाम से इस युग का नामकरण हुआ।