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संगीत (फ़िल्म) - विकिपीडिया
संगीत कसीनथुनी विश्वनाथ द्वारा निर्देशित 1992 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसमें मुख्य भूमिकाओं में माधुरी दीक्षित और जैकी श्रॉफ है।
https://hi.wikipedia.org/wiki/संगीत_(फ़िल्म)
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फिल्म संगीत (संगीत और ऑडियो) - Mimir विश्वकोश
फिल्म को व्यक्त करने में मदद के लिए स्क्रीन के अनुसार खेला जाने वाला संगीत। सिनेमा से सिनेमैटोग्राफ की उम्र से संगीत जुड़ा हुआ था, और फिल्म के लिए पूर्ण संगीत भी बनाया गया था (उदाहरण के लिए, एसेनाइटिन...
https://mimirbook.com/hi/aa4b4bfbc17
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साल 2018 के सबसे अच्छे तीन फिल्मी म्यूजिक एलबम
जुबान पर चढ़ने वाला कर्णप्रिय संगीत रचने के अलावा ये एलबम गीतकार को शोर करने वाली धुनों के आगे बौना नहीं बनाते और फिल्म के नैरेटिव का जरूरी हिस्सा बनते हैं
https://satyagrah.scroll.in/article/123752/year-ender-hindi-films-three-best-music-albums-of-2018
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सितार और फिल्म संगीत पर आधारित कार्यक्रम कल
मोहम्मद रफी संगीत अकादमी की ओर से सितार और फिल्म संगीत पर आधारित "गीतों से भरी खूबसूरत शाम' कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम 15 अक्टूबर को मानस भवन में शाम 6.30 बजे होगा। इस दौरान चार सितार वादकों उस्ताद विलायत खान, पं. रवि शंकर,उस्ताद अब्दुल हलीम जाफर खान और उस्ताद र
https://www.bhaskar.com/news/MP-BPL-HMU-MAT-latest-bhopal-news-021502-266310-NOR.html
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फिल्म संगीत से लुप्त होती मधुरता और विविधता...
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स्मरण करने का प्रयास कीजिए, कि आपने पिछले दस वर्षों में हिन्दी फिल्मों में कितने भजन गीत देखे या सुने हैं? मस्तिष्क पर ज़ोर लगाना पड़ेगा ना!!! अच्छा उसे छोड़िये, यह याद करने का प्रयास कीजिये कि पिछले दस वर्षों में हिन्दी फिल्मों में आपने जन्माष्टमी, रामनवमी,
http://desicnn.com/news/hindi-film-music-losing-its-melody-and-variety-due-to-non-performance-by-artists?fb_comment_id=1816603555024245_1818816161469651
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शास्त्रीय रागों को फिल्म संगीत ने बनाया हम सबका राग
-गायिका सुप्रिया जोशी ने किया है शास्त्रीय रागों और यूपी के लोक संगीत पर शोध -लता के गीतों में बसत
https://www.jagran.com/uttar-pradesh/meerut-city-16775164.html
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फिल्म संगीत की कला
फिल्मों का संगीत देना भी एक कला है. संगीत के जरिए फिल्मों में संवेदना पैदा की जाती है, सीन में जान पैदा की जाती है. मशहूर संगीतकार हंस सिम्मर बता रहे हैं कि तस्वीरों और संगीत को कैसे जोड़ा जाता है.
https://www.dw.com/hi/the-art-of-film-music/a-42366898
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दैनिक ट्रिब्यून » News सिनेमा के सौ साल फिल्म संगीत का बुरा हाल
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ की ख़बरें; खेल, व्यापर एवं देश विदेश के निष्पक्ष हिंदी समाचार और विचारों का प्रकाशन
https://www.dainiktribuneonline.com/2012/06/सिनेमा-के-सौ-साल-फिल्म-संग/
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सूरों के शहनशाह पधारे तब फिल्म संगीत कैसा था ?
1931 में पहली बोलती फिल्म (टॉकी ) आयी तब से फिल्मों में गीत संगीत का प्रादुर्भाव हुआ. उन दिनों गीत-नृत्य का संगीत अलग और पार्श्वसंगीत अलग रहता था. पार्श्व संगीत द्रश्य के संवेदन को जीवित करता था. फिल्म के प्रमुख संगीतकार ही यह दोनों प्रकार के संगीत का उत्तरदायित्त्व सम्हालते
https://ajitpopat.blogspot.com/2019/07/blog-post_22.html
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रवींद्र संगीत से प्रेरित रहा है भारतीय फिल्म संगीत; सरोद पर गूंजा एकला चोलो रे
भोपाल / रवींद्र संगीत से प्रेरित रहा है भारतीय फिल्म संगीत; सरोद पर गूंजा एकला चोलो रे...
भोपाल. विश्वरंग के दूसरे दिन मंगलवार का आगाज मंगलाचरण से हुआ। इसमें सरोद वादक अमीर खान ने तबले पर संगत कर रहे उनके पिता नफीस खान के साथ टैगोर रचित गीतों की सुरमयी प्रस्तुति दी। शुरुआत अमीर ने एकला चोलो..., सघानो घानों रात्रि…, वन्दे मातरम जैसे गुरुदेव द्वारा रचित बेहद लोकप्रिय गीतों की सरोद पर प्रस्तुति से की। इस दौरान श्रोताओं से अमीर खान ने कहा कि अब तक मेरे देखे हुए कला उत्सवों में विश्व रंग सबसे बड़ा कला महोत्सव है। मुझे इस मंच पर प्रस्तुति देने में गर्व की अनुभूति हो रही है। विश्व रंग में शामिल होकर मैं गुरुदेव को सच्ची श्रद्धांजलि दे पाया हूं।
पीलू भट्टाचार्य ने रवींद्र संगीत की प्रस्तुति दी विश्वरंग के दिन के दूसरे चरण में शाम 7 बजे रवींद्र भवन में कोलकाता के ख्यात रंगकर्मी पीलू भट्टाचार्य ने रवींद्र संगीत एवं हिंदुस्तानी फिल्म संगीत व नृत्य की प्रस्तुति दी। पहले बांग्ला में नृत्य की प्रस्तुति दी और इसके बाद बांग्ला संगीत पर आधारित हिंदुस्तानी फिल्मी व नाट्य गीत-संगीत की प्रस्तुति ने लोगों के मन पर अमिट छाप छोड़ी। कई लोगों को यह पता ही नहीं था कि ये गीत जो वे सुनते हैं- छूकर मेरे मन को तूने किया क्या इशारा…, बचपन के दिन भुला ना देना…, जाएं तो जाएं कहां…, नन्हा सा पंछी… सब रवींद्र संगीत पर आधारित हैं।
रवींद्र संगीत की कोरस में प्रस्तुतिपूर्व रंग के तहत रीना सिन्हा के रैनी वृंदा ग्रुप की रवींद्र संगीत की कोरस प्रस्तुति ने सभी को लुभाया। रवींद्र संगीत को कोरस में सुनकर लोगों ने एक नए रूप में रवींद्र संगीत को महसूस किया। रीना सिन्हा ने बताया कि आज के युवाओं को रवींद्रनाथ टैगोर से प्रेरणा लेनी चाहिए, उनकी भावनाएं, उनकी रचनाएं, उनका संगीत, उनका लेखन, उनका रंगमंच का अनुभव सहित अनेक विधाएं हैं, जिससे युवा सीख सकते हैं।
राष्ट्रीय चित्र प्रदर्शनी का शुभारंभबहुकला केंद्र की दीर्घा में राष्ट्रीय चित्र प्रदर्शनी शुरू हुई। 7 दिनों तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का शुभारंभ चित्रकार प्रभाकर कोल्टेश ने किया। इस अवसर पर विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे, चित्रकार अशोक भौमिक, प्रभाकर कोल्टेश, लीलाधर मंडलोई, देवीलाल पाटीदार सहित कला प्रेमी मौजूद रहे। विश्व स्तरीय प्रदर्शनी के लिए एक हजार से अधिक प्रविष्टियां पहुंची थी, जिनमें से 158 पेंटिंग्स को एग्जीबिशन में शामिल किया गया है। इस अवसर पर जबलपुर से आईं युवा चित्रकार सुप्रिया अंबर ने कहा कि आज हमारे अंदर एक द्वंद्व है। हम कहीं भटक रहे हैं, लेकिन कला ही एक ऐसा साधन है जिससे हमें आराम मिल सकता है।
तकनीक और रचना का एक सफल मिश्रणवहीं, लीलाधर मंडलोई की एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग भी कला प्रेमियों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बनी। ब्रीदिंग स्टोन शीर्षक से तैयार इस प्रदर्शनी के बारे में लीलाधर मंडलोई ने बताया कि वैश्वीकरण के इस युग में जब सभी रचनाओं को एक ही सतह पर लाने का प्रयास हो रहा है, वहां हम कला को किसी बंधन में बांध नहीं सकते। कला को नर्इ तकनीक से जोड़कर हम आश्चर्यजनक रचनाओं को जन्म दे सकते हैं। मंडलोई ने पेंटिंग्स को अपनी कल्पना और फोटोग्राफी की तकनीक से जन्म दिया है।
राजा-रजवाड़ों ने भारतीय कला के परिदृश्य को बदलाविश्वरंग के दूसरे दिन नेशनल सेमिनार ऑन आर्ट्स इन इंडिया का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पहले सत्र के वक्ता युवा चित्रकार लोकेश जैन ने भारतीय चित्रकला 1850-1930 तक के परिदृश्य पर बात की। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश राज जैसे-जैसे मज़बूत हुआ, भारतीय राजा कमजोर हो गए, जिससे भारतीय कला भी कमजोर हुई। इसके बाद अंग्रेजों के खिलाफ शुरू हुए स्वतंत्रता आंदोलनों से डूब रही भारतीय कला को सहारा मिला और इनकी प्रगति फिर शुरू हो सकी। यह सब सिर्फ इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि कला के पास हर बंधन से मुक्त होने की खूबसूरती है। वर्तमान में बाज़ार के आने से हम ट्रेंड्स नामक नई विसंगति का सामना कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप लोग कला के मूल्य से उसका मूल्यांकन करने लगे हैं।
https://virats.page/article/raveendr-sangeet-se-prerit-raha-hai-bhaarateey-philm-sangeet-sarod-par-goonja-ekala-cholo-re-/_25QbQ.html
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फिल्म संगीत
फिल्म संगीत
https://www.patrika.com/indore-news/cinema-specialist-kl-pandey-interview-about-music-history-2571439/
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जीवन के हर पक्ष को फिल्म संगीत ने किया है प्रभावित
https://tehelka.page/article/jeevan-ke-har-paksh-ko-philm-sangeet-ne-kiya-hai-prabhaavit/Bg-mDU.html
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आज के फिल्म संगीत और पुराने समय के फिल्म संगीत
उन दिनों का संगीत कर्णप्रिय होता था क्योंकि संगीतकार मेहनत करते थे और वाद्य यंत्रों से संगीत बनाते थे लेकिन अब संगीतकार की जगह साउंड इंजीनियर्स ने ले ली और वाद्य यंत्रों की जगह मशीनों ने।
https://hi.quora.com/आज-के-फिल्म-संगीत-और-पुराने