हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत हिंदुस्तानी या उत्तर भारत की शास्त्रीय संगीत शैली है। इस शैली को कभी-कभी उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत या शास्त्रीय संगीत भी कहा जाता है?
भारतीय शास्त्रीय संगीत की उत्पत्ति वेदों से मानी जाती है। सामवेद में संगीत के बारे में गहराई से चर्चा की गई है। भारतीय शास्त्रीय संगीत गहरे तक आध्यात्मिकता से प्रभावित रहा है, इसलिए इसकी शुरुआत मनुष्य जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति के साधन के रूप में हुई।
संगीत देश, काल, जाति, धर्म, संप्रदाय सभी सीमाओं का अतिक्रमण करता है क्योंकि वह सार्वकालिक है लेकिन शास्त्रीय संगीत के बारे में इतिहास अलग ढंग से लिखा गया
अध्ययन की सुविधा से संगीत को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है जिसमें से एक है शास्त्रीय संगीत। नियमों में बंधा हुआ शास्त्र-सम्मत संगीत ही शास्त्रीय संगीत कहलाता है। इनमें नियमों का कठोरता से पालन ज़रूरी होता है।
यमुनानगर, जागरण संवाद केंद्र आधुनिक संगीत से हिंदुस्तानी संगीत को नुकसान पहुंच रहा है। ध्यान देने की जरूरत है कि हम आधुनिक संगीत का अनुकरण कर कहीं अपने हिंदुस्तानी संगीत की सास्कृ
भारतीय शास्त्रीय संगीत की उत्पत्ति वेदों से मानी जाती है। सामवेद में संगीत के बारे में गहराई से चर्चा की गई है। भारतीय शास्त्रीय संगीत गहरे तक आध्यात्मिकता से प्रभावित रहा है, इसलिए इसकी शुरुआत मनुष्य जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति के साधन के रूप में हुई।
संगीत देश, काल, जाति, धर्म, संप्रदाय सभी सीमाओं का अतिक्रमण करता है क्योंकि वह सार्वकालिक है लेकिन शास्त्रीय संगीत के बारे में इतिहास अलग ढंग से लिखा गया
अध्ययन की सुविधा से संगीत को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है जिसमें से एक है शास्त्रीय संगीत। नियमों में बंधा हुआ शास्त्र-सम्मत संगीत ही शास्त्रीय संगीत कहलाता है। इनमें नियमों का कठोरता से पालन ज़रूरी होता है।
यमुनानगर, जागरण संवाद केंद्र आधुनिक संगीत से हिंदुस्तानी संगीत को नुकसान पहुंच रहा है। ध्यान देने की जरूरत है कि हम आधुनिक संगीत का अनुकरण कर कहीं अपने हिंदुस्तानी संगीत की सास्कृ