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भारत में संगीत-शिक्षण - विकिपीडिया
भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के अन्तर्गत कला को जो पवित्रता एवं आस्था का स्थान प्राप्त था तथा जिसे कुछ मुसलमान शासकों ने भी प्रश्रय दिया और संगीत को मनोरंजन का उपकरण मानते हुए भी इसके साधना पक्ष को विस्मृत न करते हुए संगीतज्ञों तथा शास्त्रकारों को राज्य अथवा रियासतों क
https://hi.wikipedia.org/wiki/भारत_में_संगीत-शिक्षण
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हाई स्कूल संगीत शास्त्र:
राग कोष प्रस्तुत राग कोष में 1,438 उत्तर भारतीय और कर्नाटिक पद्धति के रागों का परिचय दिया गया है। इन रागों के संग्रह में कितने ही प्राचीन तथा अर्वाचीन संगीत ग्रथों का मंथन किया गया है और यह चेष्टा रही है कि प्रचलित तथा अप्रचलित अधिकांश रागों का विवरण संगीत प्रेमियों को उपलब्ध हो सके। इस शताब्दी में हमारे कुछ विशिष्ट गायक और तंतकारों ने अपने निजी चिंतन द्वारा कुछ सुन्दर रागों (बंदिशों) को जन्म दिया है। ऐसी सुन्दर कृतियों को इस कोष में समाविष्ट करने का प्रयत्न भी हमने किया है। कुछ राग ऐसे भी हैं, जो एक दूसरे से बिलकुल मिलते जुलते हैं। उनके स्वरूप में राग नाम के अतिरिक्त और कोई अन्तर ही नहीं दिखाई पड़ता । ऐसे रागों को ग्रहण करने में हमने कोई संकोच नहीं किया । कभी कभी ऐसा होता है कि किसी सुन्दर बंदिश को अन्य कलाकार दूसरा नाम देकर गाने बजाने लगते हैं, ताकि अनुसरण प्रवृत्ति के लांछन से वे मुक्त रहें, परन्तु इस प्रवृत्ति का परिणाम यह होता है कि अल्पज्ञ व्यक्ति बड़े भ्रम में पड़ जाते हैं और एक ही स्वरूप के दो या तीन नाम देखकर वे निश्चित नहीं कर पाते कि अमुक बंदिश का मूल अथवा प्रामाणिक नाम क्या है। मूल रचयिता का नाम और यश भी इस स्म में धूमिल हो जाता है। यदि ऐसी संगीत कृतियों के कापी राइट की कोई व्यवस्था भारत में होती, तो इस प्रकार के वाद को किसी भी प्रकार का पोषण न मिलता । प्राचीन संगीत की ओर से दृष्टि हूट जाने के कारण आज हमारी संगीत शिक्षा पद्धति बिखर सी गई है। राग का महत्त्व, स्वरूप, भाव और प्रभाव इन सभी पर चर्चा करने का कोई लक्षण अब दिखाई नहीं पड़ता, इसलिए रागों का एक ढाँचा मात्र हमारे सामने रह गया है। इस ढाँचे से अतिरिक्त बताने, समझने और चिंतन करने के लिए आज हमारे शिक्षक और विद्यार्थियों को अवकाश नहीं । यद्यपि प्रस्तुत ग्रंथ में राग ढाँचों का ही संकलन है, फिर भी वे उन सभी कलाकारों, विद्वानों और संगीत विद्यार्थियों को लाभान्वित करेंगे, जो राग रचना और तत्सम्बन्धी अनुसंधान में प्रवृत्त होना चाहते हैं। उत्तर तथा कर्नाटिक रागों को समेटकर रखने का यह एक प्रथम प्रयास है, जो दोनों पद्धतियों के जिज्ञासुओं के लिए समान रूप से हितकर सिद्ध होगा । Sample Pages
https://www.exoticindiaart.com/book/details/high-school-sangeet-shastra-HAA209/
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स्कूलों में पश्चिमी संगीत के बजाय भारतीय संगीत को बढ़ावा दे सरकार
हिंदी फिल्मों के जाने-माने गायक एवं संगीत निर्देशक शंकर महादेवन ने इस बात पर अफसोस जताया है कि देश के कुछ स्कूलों में भारतीय शास्त्रीय संगीत के बजाय पश्चिमी संगीत की शिक्षा दी जाती है।
https://www.punjabkesari.in/education-and-jobs/news/encourages-indian-music-instead-of-western-music-in-schools-946983
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सुरीला करियर संगीत का
संगीत एक सर्वाधिक सुरीली मानवीय क्रिया है। वह नाद स्वर ही था, जिससे इस संसार की रचना हुई थी। संगीत एक ऐसी विधा है, जिससे मानव भावना को सृजित किया जा सकता है तथा भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है। यह संगीत है, जो मस्तिष्क को सुकून प्रदान करता है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसा
https://hindi.webdunia.com/article/career-options/सुरीला-करियर-संगीत-का-108092500011_1.htm
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संगीत पाठ्यक्रम - संगीत में लघु पाठ्यक्रम - पाठ्यक्रम संगीत
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भारतीय संगीत स्कूल
भारतीय संगीत का आकर्षण एक बार फिर दून के संगीत प्रेमियों को अपनी ओर खींच रहा है। माता-पिता भी बच्चों को पढ़ाई के साथ संगीत के फन में माहिर बनाने को आगे आ रहे हैं।
https://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-youths-interested-classical-music-19363487.html