पत्थर की मूर्तियाँ प्रागैतिहासिक काल से ही अनेक कारणों से बनाई जा रही हैं।[1] पत्थर की मूर्तियाँ केवल सुंदरता का ही नहीं, बलकी और भी बहुत चीज़ों का प्रतीक है। इस बात को इस लेख में समझाया गया है। और यह भी दिखाया है कि सालों से विकास करती यह कला अत्यंत आकर्शक और महत्वपूर्ण है।
सारनाथ दुनिया के सबसे खूबसूरत स्थलों में से एक है जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, जो बौद्ध धर्म की शुरुआत थी। स्तंभ के शीर्ष पर स्थित अशोक चिन्ह जिसे भारत का राष्ट्रीय प्रतीक माना जाता है, सारनाथ से है। सम्राट अशोक जिन्होंने बुद्ध के प्रेम और करुणा के संदेश को फैलाने
भारतीय संगमरमर की मूर्तियां उत्कृष्ट शैली और बेहतरीन शिल्प कौशल के पैटर्न के साथ हैं जो गुणवत्ता के साथ प्राप्त की जाती हैं। वे आकर्षक, सुंदर कलात्मक डिजाइन और शिल्प कौशल के बहुमुखी आकार की एक शानदार झलक प्रदान करते हैं। भारतीय संगमरमर की मूर्तियों का इतिहास संगमरमर से तीन आयामी रूपों के गठन के
पत्थर की मूर्तियाँ प्रागैतिहासिक काल से ही अनेक कारणों से बनाई जा रही हैं।[1] पत्थर की मूर्तियाँ केवल सुंदरता का ही नहीं, बलकी और भी बहुत चीज़ों का प्रतीक है। इस बात को इस लेख में समझाया गया है। और यह भी दिखाया है कि सालों से विकास करती यह कला अत्यंत आकर्शक और महत्वपूर्ण है।
भारतीय मूर्तिकला भारत के उपमहाद्वीपों की सभ्यताओं की मूर्तिकला परंपराएँ, प्रकार और शैलियाँ का संगम है। मूर्तिकला भारतीय उपमहाद्वीप में हमेशा से कलात्मक अभिव्यक्ति का प्रिय माध्यम रही है। भारतीय भवन प्रचुर रूप से मूर्तिकला से अलंकृत हैं और प्रायः एक-दूसरे से अलग नहीं किए जा सकते।
गुलाबी नगर जयपुर की मूर्तिकला लंबे समय से सारी दुनिया में जानी जाती रही है तो इसकी वजहें भी रही हैं। हर साल जयपुर से आठ करोड़ कीमत की मूर्तियां बाहर जाती हैं।
पत्थर की मूर्तियाँ प्रागैतिहासिक काल से ही अनेक कारणों से बनाई जा रही हैं।[1] पत्थर की मूर्तियाँ केवल सुंदरता का ही नहीं, बलकी और भी बहुत चीज़ों का प्रतीक है। इस बात को इस लेख में समझाया गया है। और यह भी दिखाया है कि सालों से विकास करती यह कला अत्यंत आकर्शक और महत्वपूर्ण है।
सारनाथ दुनिया के सबसे खूबसूरत स्थलों में से एक है जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, जो बौद्ध धर्म की शुरुआत थी। स्तंभ के शीर्ष पर स्थित अशोक चिन्ह जिसे भारत का राष्ट्रीय प्रतीक माना जाता है, सारनाथ से है। सम्राट अशोक जिन्होंने बुद्ध के प्रेम और करुणा के संदेश को फैलाने
भारतीय संगमरमर की मूर्तियां उत्कृष्ट शैली और बेहतरीन शिल्प कौशल के पैटर्न के साथ हैं जो गुणवत्ता के साथ प्राप्त की जाती हैं। वे आकर्षक, सुंदर कलात्मक डिजाइन और शिल्प कौशल के बहुमुखी आकार की एक शानदार झलक प्रदान करते हैं। भारतीय संगमरमर की मूर्तियों का इतिहास संगमरमर से तीन आयामी रूपों के गठन के
पत्थर की मूर्तियाँ प्रागैतिहासिक काल से ही अनेक कारणों से बनाई जा रही हैं।[1] पत्थर की मूर्तियाँ केवल सुंदरता का ही नहीं, बलकी और भी बहुत चीज़ों का प्रतीक है। इस बात को इस लेख में समझाया गया है। और यह भी दिखाया है कि सालों से विकास करती यह कला अत्यंत आकर्शक और महत्वपूर्ण है।
भारतीय मूर्तिकला भारत के उपमहाद्वीपों की सभ्यताओं की मूर्तिकला परंपराएँ, प्रकार और शैलियाँ का संगम है। मूर्तिकला भारतीय उपमहाद्वीप में हमेशा से कलात्मक अभिव्यक्ति का प्रिय माध्यम रही है। भारतीय भवन प्रचुर रूप से मूर्तिकला से अलंकृत हैं और प्रायः एक-दूसरे से अलग नहीं किए जा सकते।
गुलाबी नगर जयपुर की मूर्तिकला लंबे समय से सारी दुनिया में जानी जाती रही है तो इसकी वजहें भी रही हैं। हर साल जयपुर से आठ करोड़ कीमत की मूर्तियां बाहर जाती हैं।