भारत में जैविक खेती कोई नया विचार नहीं है, और प्राचीन काल से की जा रही है। यह खेती का ऐसा तरीका है, जिसमें भूमि को जोत कर, इस प्रकार फसल उगाई जाती है जिससे मिट्टी जीवित व स्वस्थ बनी रहे। इसके लिये, जैविक अपशिष्ट (फसल, पशु व खेती के अपशिष्ट, जलीय अपशिष्ट, आदि) तथा अन्य जैविक सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें लाभकारी जीवाणु हों (जैविक खाद)। इससे फसल को स्थायी रूप से आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और वातावरण भी प्रदूषण-मुक्त रहता है।
जैविक खेती कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है।[
जैविक उपायन जैसे कम्पोष्ट खाद तथा जीवाणु खाद इत्यादि जैविक खेती के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि पारंपरिक विधा में समन्वित पोषक व कीट प्रबंधन में भी उनका महत्वपूर्ण स्थान है |
कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का बढ़ रहा और अंधाधुंध प्रयोग तथा मृदा के ह्रास की स्थिति और उत्पादकता दुनिया भर के लोगों के लिए चिंता का विषय है. सुरक्षित और स्वस्थ भोजन के लिए बढ़ती जागरूकता ने जैविक खेती के महत्व को रेखांकित किया है I
केंद्र सरकार द्वारा परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत तीन साल के लिए एक हैक्टेयर के लिए पचास हजार रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है। इस दौरान सरकार पूरी तरह ध्यान दे रही है कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बरकरार रखने के लिए किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरुक किया जाए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार देश में जैविक खेती के लिए कुल उन्नीस लाख किसानों ने पंजीकरण करा लिया है।
फसल उत्पादन को निरन्तर कायम रखने के लिए जैविक कृषि एक अच्छी पहल है किन्तु, भारत में कम्पोस्ट की कमी, प्रमाणित प्रौद्योगिकियों के प्रचार के लिए विस्तार की असंगठित प्रणाली, जैविक सामग्री में पोषक तत्वों का अन्तर, कचरे से संग्रह करने और प्रसंस्करण करने में जटिलता I
भारतीय पम्परागत खेती किसानी में जुताई करना ठीक नहीं माना जाता था. इस लिए किसान कम से कम जुताई करते थे और जब वो देख लेते थे की जुताई के कारण कमजोर होते खेतों को जुताई बंद कर ठीक कर लिया करते थे.I
तकरीबन 75,000 हेक्टेयर कृषि भूमि में टिकाउ कृषि कर सिक्किम भारत का पहला पूर्ण जैविक राज्य बन गया है। ‘सिक्किम जैविक मिशन’ के कार्यकारी निदेशक डॉ. आनबालागन ने बताया कि दिसंबर के आखिर में हमने पूर्ण जैविक राज्य का दर्जा हासिल कर लिया है।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री ने कृषि में रासायनिक उर्वरक के अधिक उपयोग पर चिंता व्यक्त की। यह चिंता प्रमुख रूप से रासायनिक उर्वरकों के कारण भूमि पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभावों को लेकर व्यक्त की गई।
रासायनिक खेती और ऑरगेनिक खेती में मृत और जीवित का अंतर है। रासायनिक खेती में रसायनों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से जमीन की उर्वरक शक्ति खत्म हो जाती है। भूजल स्तर नीचे गिर जाता है। फसलचक्र बदल जाता है और इस कारण किसान का रोजगार खत्म हो जाता है।
जैविक खेती कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है।[
जैविक उपायन जैसे कम्पोष्ट खाद तथा जीवाणु खाद इत्यादि जैविक खेती के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि पारंपरिक विधा में समन्वित पोषक व कीट प्रबंधन में भी उनका महत्वपूर्ण स्थान है |
कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का बढ़ रहा और अंधाधुंध प्रयोग तथा मृदा के ह्रास की स्थिति और उत्पादकता दुनिया भर के लोगों के लिए चिंता का विषय है. सुरक्षित और स्वस्थ भोजन के लिए बढ़ती जागरूकता ने जैविक खेती के महत्व को रेखांकित किया है I
केंद्र सरकार द्वारा परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत तीन साल के लिए एक हैक्टेयर के लिए पचास हजार रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है। इस दौरान सरकार पूरी तरह ध्यान दे रही है कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बरकरार रखने के लिए किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरुक किया जाए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार देश में जैविक खेती के लिए कुल उन्नीस लाख किसानों ने पंजीकरण करा लिया है।
फसल उत्पादन को निरन्तर कायम रखने के लिए जैविक कृषि एक अच्छी पहल है किन्तु, भारत में कम्पोस्ट की कमी, प्रमाणित प्रौद्योगिकियों के प्रचार के लिए विस्तार की असंगठित प्रणाली, जैविक सामग्री में पोषक तत्वों का अन्तर, कचरे से संग्रह करने और प्रसंस्करण करने में जटिलता I
भारतीय पम्परागत खेती किसानी में जुताई करना ठीक नहीं माना जाता था. इस लिए किसान कम से कम जुताई करते थे और जब वो देख लेते थे की जुताई के कारण कमजोर होते खेतों को जुताई बंद कर ठीक कर लिया करते थे.I
तकरीबन 75,000 हेक्टेयर कृषि भूमि में टिकाउ कृषि कर सिक्किम भारत का पहला पूर्ण जैविक राज्य बन गया है। ‘सिक्किम जैविक मिशन’ के कार्यकारी निदेशक डॉ. आनबालागन ने बताया कि दिसंबर के आखिर में हमने पूर्ण जैविक राज्य का दर्जा हासिल कर लिया है।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री ने कृषि में रासायनिक उर्वरक के अधिक उपयोग पर चिंता व्यक्त की। यह चिंता प्रमुख रूप से रासायनिक उर्वरकों के कारण भूमि पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभावों को लेकर व्यक्त की गई।
रासायनिक खेती और ऑरगेनिक खेती में मृत और जीवित का अंतर है। रासायनिक खेती में रसायनों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से जमीन की उर्वरक शक्ति खत्म हो जाती है। भूजल स्तर नीचे गिर जाता है। फसलचक्र बदल जाता है और इस कारण किसान का रोजगार खत्म हो जाता है।