उर्वरक प्राकृतिक या कृत्रिम मूल का पदार्थ है (चूना लगाने के पदार्थों के अलावा) जो मिट्टी या पौधों के ऊतक (प्रायः पत्ते) में उपयोग किया जाता है, जिससे पौधों को विकास के लिये आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। कीटनाशक वे पदार्थ हैं जो हानिकारक कीटों को आकर्षित करके नष्ट करते हैं। ये जैवनाशी पदार्थों की श्रेणी में आते हैं।
कृषि विभाग का मूल उद्देश्य कृषि विकास की दर को गति प्रदान करने के साथ-साथ फसलोत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि करना है, जिससे प्रदेश के कृषकों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर उनके जीवन-स्तर को ऊपर उठाया जा सके।
उर्वरक (Fertilizers) कृषि में उपज बढ़ाने के लिए प्रयुक्त रसायन हैं जो पेड-पौधों की वृद्धि में सहायता के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। पानी में शीघ्र घुलने वाले ये रसायन मिट्टी में या पत्तियों पर छिड़काव करके प्रयुक्त किये जाते हैं।
कृषि के निरंतर विकास और संतुलित पोषक तत्व अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है कि किसानों को उर्वरक वहनीय मूल्य पर उपलब्ध कराया जाए। इसी उद्देश्य से एकमात्र नियंत्रित उर्वरक यूरिया को सांविधिक अधिसूचित एकसमान बिक्री मूल्य पर बेचा जा रहा है
रसायनिक खादों के लगातार व असंतुलित प्रयोग से हमारी कृषि हेतु जमीन व वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है | मिट्टी में जीवांश की मात्रा घटने से उसकी उपजाऊ शक्ति घटती जा रही है | हमारे जलाशय तथा जमीन के नीचे का पानी प्रदूषित हुआ हैं |
कृषि में कीट व रोग हमेशा ही किसानों व वैज्ञानिकों को लिए बड़ी चुनौती रहे हैं| दुनिया भर में कीट व रोग नियंत्रण के रासायनिक तरीके बुरी तरह बुरी तरह नाकामयाब साबित हो चुके हैं|
कृषि विभाग का मूल उद्देश्य कृषि विकास की दर को गति प्रदान करने के साथ-साथ फसलोत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि करना है, जिससे प्रदेश के कृषकों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर उनके जीवन-स्तर को ऊपर उठाया जा सके।
उर्वरक (Fertilizers) कृषि में उपज बढ़ाने के लिए प्रयुक्त रसायन हैं जो पेड-पौधों की वृद्धि में सहायता के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। पानी में शीघ्र घुलने वाले ये रसायन मिट्टी में या पत्तियों पर छिड़काव करके प्रयुक्त किये जाते हैं।
कृषि के निरंतर विकास और संतुलित पोषक तत्व अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है कि किसानों को उर्वरक वहनीय मूल्य पर उपलब्ध कराया जाए। इसी उद्देश्य से एकमात्र नियंत्रित उर्वरक यूरिया को सांविधिक अधिसूचित एकसमान बिक्री मूल्य पर बेचा जा रहा है
रसायनिक खादों के लगातार व असंतुलित प्रयोग से हमारी कृषि हेतु जमीन व वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है | मिट्टी में जीवांश की मात्रा घटने से उसकी उपजाऊ शक्ति घटती जा रही है | हमारे जलाशय तथा जमीन के नीचे का पानी प्रदूषित हुआ हैं |
कृषि में कीट व रोग हमेशा ही किसानों व वैज्ञानिकों को लिए बड़ी चुनौती रहे हैं| दुनिया भर में कीट व रोग नियंत्रण के रासायनिक तरीके बुरी तरह बुरी तरह नाकामयाब साबित हो चुके हैं|