स्वतन्त्रता के बाद के युग में स्वास्थ्य की देखभाल से सम्बन्धित ढाँचे में व्यापक विकास देखने में आया है लेकिन जनसंख्या के निरन्तर बढ़ने, परिवर्तित जीवन-पद्धति और नित नए रोगों के उभरने से स्वास्थ्य की देखभाल का काम बढ़ गया है।
स्वास्थ्य सेवा या हेल्थकेयर का अर्थ बीमारी की रोकथाम और उपचार करना है। स्वास्थ्य सेवा चिकित्सा, दन्त चिकित्सा, नर्सिंग और स्वास्थ्य से सम्बंधित पेशेवरों द्वारा प्रदान की जाती है। स्वास्थय सेवा तक पहुँच देशों, समूहों और व्यक्तियों के अनुसार बदलती रहती है।
प्राथमिक स्वास्थ्य परिचर्या बुनियादी, हर रोज स्वास्थ्य देखभाल करने के लिए संदर्भित करता है। यह आम तौर पर एक स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के साथ अपनी पहली मुठभेड़ जब आप देखभाल और सलाह की जरुरत है I
भारतीय संविधान सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार को राज्य का प्राथमिक कर्तव्य मानता है।[1] हालांकि, व्यवहारिकता में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत के स्वास्थ्य सेवाओं के बहुमत के लिए जिम्मेदार है I
किसी भी देश में स्वास्थ्य का अधिकार जनता का पहला बुनियादी अधिकार होता है। स्वस्थ नागरिक ही एक स्वस्थ व विकसित देश के निर्माणकारी तत्व होते हैं। हमारी तो सदियों से धारणा रही है कि 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया' तथा 'जान है तो जहान है।
स्वतन्त्रता के बाद के युग में स्वास्थ्य की देखभाल से सम्बन्धित ढाँचे में व्यापक विकास देखने में आया है लेकिन जनसंख्या के निरन्तर बढ़ने, परिवर्तित जीवन-पद्धति और नित नए रोगों के उभरने से स्वास्थ्य की देखभाल का काम बढ़ गया है।
स्वास्थ्य सेवा या हेल्थकेयर का अर्थ बीमारी की रोकथाम और उपचार करना है। स्वास्थ्य सेवा चिकित्सा, दन्त चिकित्सा, नर्सिंग और स्वास्थ्य से सम्बंधित पेशेवरों द्वारा प्रदान की जाती है। स्वास्थय सेवा तक पहुँच देशों, समूहों और व्यक्तियों के अनुसार बदलती रहती है।
प्राथमिक स्वास्थ्य परिचर्या बुनियादी, हर रोज स्वास्थ्य देखभाल करने के लिए संदर्भित करता है। यह आम तौर पर एक स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के साथ अपनी पहली मुठभेड़ जब आप देखभाल और सलाह की जरुरत है I
भारतीय संविधान सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार को राज्य का प्राथमिक कर्तव्य मानता है।[1] हालांकि, व्यवहारिकता में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत के स्वास्थ्य सेवाओं के बहुमत के लिए जिम्मेदार है I
किसी भी देश में स्वास्थ्य का अधिकार जनता का पहला बुनियादी अधिकार होता है। स्वस्थ नागरिक ही एक स्वस्थ व विकसित देश के निर्माणकारी तत्व होते हैं। हमारी तो सदियों से धारणा रही है कि 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया' तथा 'जान है तो जहान है।