यह जल परिवहन का एक चिरकालीन एवं महत्वपूर्ण साधन है। जलमार्ग एक पानी का नौगम्य शरीर हैं। एक या कई जलमार्ग का एक नौवहन मार्ग होते हैं। जलमार्ग मे नदियो,समुद्रों, महासागरों, और नहरें शामिल कर सकते हैं। अगर जलमार्ग को नौगम्य बनाने के लिए यह कई मापदंड से मिलने चाहिए।
गंगा नदी से गुजरने वाले 1680 किलोमीटर लंबे इलाहाबाद-हल्दिया जलमार्ग को जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के तहत भारत में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-१ का दर्जा दिया गया है I
मार्च 2016 को भारतीय संसद में राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 पारित किया गया. इस अधिनियम में 111 नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है. हमारे संविधान में नदियों पर मूलरुप से आधिपत्य राज्य सरकारों का है. I
पोत परिवहन मंत्रालय को यह चेताया गया था कि व्यापक विचार-विमर्श के बिना किसी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करना सही नहीं होगा. इतनी बड़ी संख्या में राष्ट्रीय जलमार्ग विकसित करने पर न सिर्फ केंद्र सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ेगा बल्कि पर्यावरण को भी गहरा नुकसान होगा I
वास्तव में सिंधु और ब्रह्मपुत्र सहित सभी नदियों के साथ-साथ उपमहाद्वीप की सभी प्रमुख नदियाँ भी किसी न किसी स्तर पर विवादास्पद ही हैं. वस्तुतः जहाँ अनेक देशों की सीमाओं से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग अधिकाधिक चर्चा में रहते हैं I
नहर जल परिवहन तथा स्थानान्तरण का मानव-निर्मित संरचना है। मुख्यत: इसका उपयोग खेती में सिंचाई के लिये जल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में किया जाता है। संख्या ब्रितानी शासन काल में बहुत बढी। नहर जल परिवहन तथा स्थानान्तरण का मानव-निर्मित संरचना है।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आई डब्लू ए आई) भारत में जलमार्ग का प्रभारी वैधानिक प्राधिकरण है। यह भारत की संसद द्वारा आई डब्लू ए आई अधिनियम -1985 के तहत गठित किया गया था इसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है।
उत्तर प्रदेश में गंगा और उसकी सहायक नदियों में डॉल्फिन के सर्वेक्षण और उसके महत्त्व के बारे में लोगों को जागरूक करने का अभियान 'मेरी गंगा मेरी डॉल्फिन' शुक्रवार से शुरू हो गया.I
विश्व का 70.87 प्रतिशत भाग जलीय है जबकि 29.13 प्रतिशत भाग ही भू-भाग है। कुल जल का केवल मात्र 2.1 प्रतिशत भाग ही उपयोग योग्य है जबकि 37.39 प्रतिशत भाग लवणीय है।
सरकार ने अन्तरदेशीय जल परिवहन के विकास की दिशा में जो ठोस पहल की है, वे अगर ज़मीन पर उतरती हैं तो यह भविष्य के लिहाज से मील का पत्थर साबित होंगी लेकिन योजनाकारों को बहुत सावधानी से काम करने और प्राकृतिक पथ के संरक्षण की दिशा में लगातार सक्रिय रहने की जरूरत होगी।
यह जल परिवहन का एक चिरकालीन एवं महत्वपूर्ण साधन है। जलमार्ग एक पानी का नौगम्य शरीर हैं। एक या कई जलमार्ग का एक नौवहन मार्ग होते हैं। जलमार्ग मे नदियो,समुद्रों, महासागरों, और नहरें शामिल कर सकते हैं। अगर जलमार्ग को नौगम्य बनाने के लिए यह कई मापदंड से मिलने चाहिए।
गंगा नदी से गुजरने वाले 1680 किलोमीटर लंबे इलाहाबाद-हल्दिया जलमार्ग को जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के तहत भारत में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-१ का दर्जा दिया गया है I
मार्च 2016 को भारतीय संसद में राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 पारित किया गया. इस अधिनियम में 111 नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है. हमारे संविधान में नदियों पर मूलरुप से आधिपत्य राज्य सरकारों का है. I
पोत परिवहन मंत्रालय को यह चेताया गया था कि व्यापक विचार-विमर्श के बिना किसी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करना सही नहीं होगा. इतनी बड़ी संख्या में राष्ट्रीय जलमार्ग विकसित करने पर न सिर्फ केंद्र सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ेगा बल्कि पर्यावरण को भी गहरा नुकसान होगा I
वास्तव में सिंधु और ब्रह्मपुत्र सहित सभी नदियों के साथ-साथ उपमहाद्वीप की सभी प्रमुख नदियाँ भी किसी न किसी स्तर पर विवादास्पद ही हैं. वस्तुतः जहाँ अनेक देशों की सीमाओं से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग अधिकाधिक चर्चा में रहते हैं I
नहर जल परिवहन तथा स्थानान्तरण का मानव-निर्मित संरचना है। मुख्यत: इसका उपयोग खेती में सिंचाई के लिये जल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में किया जाता है। संख्या ब्रितानी शासन काल में बहुत बढी। नहर जल परिवहन तथा स्थानान्तरण का मानव-निर्मित संरचना है।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आई डब्लू ए आई) भारत में जलमार्ग का प्रभारी वैधानिक प्राधिकरण है। यह भारत की संसद द्वारा आई डब्लू ए आई अधिनियम -1985 के तहत गठित किया गया था इसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है।
उत्तर प्रदेश में गंगा और उसकी सहायक नदियों में डॉल्फिन के सर्वेक्षण और उसके महत्त्व के बारे में लोगों को जागरूक करने का अभियान 'मेरी गंगा मेरी डॉल्फिन' शुक्रवार से शुरू हो गया.I
विश्व का 70.87 प्रतिशत भाग जलीय है जबकि 29.13 प्रतिशत भाग ही भू-भाग है। कुल जल का केवल मात्र 2.1 प्रतिशत भाग ही उपयोग योग्य है जबकि 37.39 प्रतिशत भाग लवणीय है।
सरकार ने अन्तरदेशीय जल परिवहन के विकास की दिशा में जो ठोस पहल की है, वे अगर ज़मीन पर उतरती हैं तो यह भविष्य के लिहाज से मील का पत्थर साबित होंगी लेकिन योजनाकारों को बहुत सावधानी से काम करने और प्राकृतिक पथ के संरक्षण की दिशा में लगातार सक्रिय रहने की जरूरत होगी।