शिक्षा मानव को एक अच्छा इंसान बनाती है। शिक्षा में ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट हैं। इस प्रकार यह कौशलों (skills), व्यापारों या व्यवसायों एवं मानसिक, नैतिक और सौन्दर्यविषयक के उत्कर्ष पर केंद्रित है।
भारतीय शिक्षा का इतिहास भारतीय सभ्यता का भी इतिहास है। भारतीय समाज के विकास और उसमें होने वाले परिवर्तनों की रूपरेखा में शिक्षा की जगह और उसकी भूमिका को भी निरंतर विकासशील पाते हैं।
भारतीय छात्र जहां स्वदेश वापसी की राह ताक रहे हैं, वहीं स्थानीय छात्र तो ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने पर नाराजगी दिखाते हुए महंगी फीस की वापसी की मांग तक उठा चुके हैं।
भारत की लगभग आधी आबादी के पास स्मार्टफोन नहीं है. ऐसे लोगों में महिलाओं और वंचित जातियों की संख्या ज्यादा है. ऑनलाइन शिक्षा का प्रोजेक्ट इन सबको नुकसान पहुंचाएगा. I
उम्मीदों और संभावनाओं का दूसरा नाम भारत है। भारत एक ऐसा देश है जिसने युगों-युगों तक दुनिया को ज्ञान की मशाल से रास्ता दिखाया। हमारे वेद-उपनिषद हजारों वर्षों बाद आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जिसने नैतिक मूल्यों के साथ धर्म के मार्ग पर चलकर यश की प्राप्ति के मार्ग बताए।
हमें सफलता, मूल्यांकन एवं आकलन के वर्तमान आधारों पर पुनर्विचार करना होगा। हमारे मूल्यांकन की इससे बड़ी विसंगति और क्या हो सकती है कि जिन्होंने कभी गाॅव नहीं देखा, जो कभी गाॅव में नहीं रहे, वे ‘ग्रामीण विकास‘ एवं ‘गाॅव‘ के बारे में अधिकारपूर्वक लिख रहे हैं, एवं बड़ी-बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर रहे हैं।
शिक्षा मानव को एक अच्छा इंसान बनाती है। शिक्षा में ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट हैं। इस प्रकार यह कौशलों (skills), व्यापारों या व्यवसायों एवं मानसिक, नैतिक और सौन्दर्यविषयक के उत्कर्ष पर केंद्रित है।
भारतीय शिक्षा का इतिहास भारतीय सभ्यता का भी इतिहास है। भारतीय समाज के विकास और उसमें होने वाले परिवर्तनों की रूपरेखा में शिक्षा की जगह और उसकी भूमिका को भी निरंतर विकासशील पाते हैं।
भारतीय छात्र जहां स्वदेश वापसी की राह ताक रहे हैं, वहीं स्थानीय छात्र तो ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने पर नाराजगी दिखाते हुए महंगी फीस की वापसी की मांग तक उठा चुके हैं।
भारत की लगभग आधी आबादी के पास स्मार्टफोन नहीं है. ऐसे लोगों में महिलाओं और वंचित जातियों की संख्या ज्यादा है. ऑनलाइन शिक्षा का प्रोजेक्ट इन सबको नुकसान पहुंचाएगा. I
उम्मीदों और संभावनाओं का दूसरा नाम भारत है। भारत एक ऐसा देश है जिसने युगों-युगों तक दुनिया को ज्ञान की मशाल से रास्ता दिखाया। हमारे वेद-उपनिषद हजारों वर्षों बाद आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जिसने नैतिक मूल्यों के साथ धर्म के मार्ग पर चलकर यश की प्राप्ति के मार्ग बताए।
हमें सफलता, मूल्यांकन एवं आकलन के वर्तमान आधारों पर पुनर्विचार करना होगा। हमारे मूल्यांकन की इससे बड़ी विसंगति और क्या हो सकती है कि जिन्होंने कभी गाॅव नहीं देखा, जो कभी गाॅव में नहीं रहे, वे ‘ग्रामीण विकास‘ एवं ‘गाॅव‘ के बारे में अधिकारपूर्वक लिख रहे हैं, एवं बड़ी-बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर रहे हैं।