चार्ल्स डार्विन का मत था कि प्रकृति क्रमिक परिवर्तन द्वारा अपना विकास करती है. विकासवाद कहलाने वाला यही सिद्धांत आधुनिक जीवविज्ञान की नींव बना. डार्विन को इसीलिए मानव इतिहास का सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना जाता है. I
विकासवाद की धारणा है कि समय के साथ जीवों में क्रमिक-परिवर्तन होते हैं। इस सिद्धान्त के विकास का लम्बा इतिहास है।१८वीं शती तक पश्चिमी जीववैज्ञानिक चिन्तन में यह विश्वास जड़ जमाये था कि प्रत्येक जीव में कुछ विलक्षण गुण हैं जो बदले नहीं जा सकते।
चार्ल्स डार्विन का मत था कि प्रकृति क्रमिक परिवर्तन द्वारा अपना विकास करती है. विकासवाद कहलाने वाला यही सिद्धांत आधुनिक जीवविज्ञान की नींव बना. डार्विन को इसीलिए मानव इतिहास का सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना जाता है.
विकासवादी सिद्धांत या बाइबिल का निर्माण?विकास का यह मॉडल वैज्ञानिक दुनिया की बहुत द्वारा आयोजित किया जाता है और जनसंख्या जो विकासवादी सिद्धांत में विश्वास की एक भारी बहुमत से मान्यता प्राप्त है. I
जीन बैप्टिस्ट डी लैमार्क ने सन् 1809 में जैव विकास के सम्बन्ध में उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। इसे लैमार्कवाद भी कहते हैं। यह सिद्धान्त निम्नलिखित तथ्यों पर आधारित है I.
जब भी आप अवतारों और ईश्वर के जन्म की बात करते है तो उसका विरोध करने वाले तर्क देते है कि ये सिर्फ कल्पना है जिसका होना विज्ञान नकारता है । क्योंकि डार्विनवाद के अनुसार मनुष्य का जन्म एक क्रमिक विकास का परिणाम है और कुछ अनीश्वरवादी नास्तिक जो तथाकथित स्वघोषित बुद्धिमान है इसे ही अंतिम सत्य मानते है ये लेख आज उन बुद्धिजीवियों को समर्पित है । तो आइए कुछ तथ्य रखते है — डार्विनवाद का मत चार्ल्स डार्विन का मत था कि प्रकृति क्रमिक परिवर्तन द्वारा अपना विकास करती है. विकासवाद कहलाने वाला यही सिद्धांत आधुनिक जीवविज्ञान की नींव बना. डार्विन को इसीलिए मानव इतिहास का सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना जाता है।
चार्ल्स डार्विन का मत था कि प्रकृति क्रमिक परिवर्तन द्वारा अपना विकास करती है. विकासवाद कहलाने वाला यही सिद्धांत आधुनिक जीवविज्ञान की नींव बना. डार्विन को इसीलिए मानव इतिहास का सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना जाता है. I
विकासवाद की धारणा है कि समय के साथ जीवों में क्रमिक-परिवर्तन होते हैं। इस सिद्धान्त के विकास का लम्बा इतिहास है।१८वीं शती तक पश्चिमी जीववैज्ञानिक चिन्तन में यह विश्वास जड़ जमाये था कि प्रत्येक जीव में कुछ विलक्षण गुण हैं जो बदले नहीं जा सकते।
चार्ल्स डार्विन का मत था कि प्रकृति क्रमिक परिवर्तन द्वारा अपना विकास करती है. विकासवाद कहलाने वाला यही सिद्धांत आधुनिक जीवविज्ञान की नींव बना. डार्विन को इसीलिए मानव इतिहास का सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना जाता है.
विकासवादी सिद्धांत या बाइबिल का निर्माण?विकास का यह मॉडल वैज्ञानिक दुनिया की बहुत द्वारा आयोजित किया जाता है और जनसंख्या जो विकासवादी सिद्धांत में विश्वास की एक भारी बहुमत से मान्यता प्राप्त है. I
जीन बैप्टिस्ट डी लैमार्क ने सन् 1809 में जैव विकास के सम्बन्ध में उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। इसे लैमार्कवाद भी कहते हैं। यह सिद्धान्त निम्नलिखित तथ्यों पर आधारित है I.
जब भी आप अवतारों और ईश्वर के जन्म की बात करते है तो उसका विरोध करने वाले तर्क देते है कि ये सिर्फ कल्पना है जिसका होना विज्ञान नकारता है । क्योंकि डार्विनवाद के अनुसार मनुष्य का जन्म एक क्रमिक विकास का परिणाम है और कुछ अनीश्वरवादी नास्तिक जो तथाकथित स्वघोषित बुद्धिमान है इसे ही अंतिम सत्य मानते है ये लेख आज उन बुद्धिजीवियों को समर्पित है । तो आइए कुछ तथ्य रखते है — डार्विनवाद का मत चार्ल्स डार्विन का मत था कि प्रकृति क्रमिक परिवर्तन द्वारा अपना विकास करती है. विकासवाद कहलाने वाला यही सिद्धांत आधुनिक जीवविज्ञान की नींव बना. डार्विन को इसीलिए मानव इतिहास का सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना जाता है।