न्यूरोबायोलॉजी (तंत्रिका जीव विज्ञान) मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के अंदर होने वाली शारीरिक प्रक्रियाओं का अध्ययन है; मस्तिष्क सम्बंधी रसायन विज्ञान और तंत्रिका विज्ञान।
जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) कहते हैं। तंत्रिकातंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलनेवाली तंत्रिकाओं की गणना की जाती है।
मस्तिष्क जन्तुओं के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण केन्द्र है। यह उनके आचरणों का नियमन एंव नियंत्रण करता है। स्तनधारी प्राणियों में मस्तिष्क सिर में स्थित होता है तथा खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है।
मस्तिष्क एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है, जो करोटि या खोपड़ी (Scale) के भीतर कपाल (Skull) में स्थित होता है। इसका वज़न 1200-1400 gm होता है। तथा इसकी क्षमता 1350cc होती है।
हमारे बड़े बुज़ुर्ग हमेशा ये बात कहते हैं कि मानव चाहे जितनी प्रगति कर ले लेकिन वो ईश्वर नहीं बन सकता। यानि जो चीज़ें प्रकृति ने अपने हाथ में रखी हैं उनमें किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। ना ही वैसी चीज़ें वो पैदा कर सकता है।
अनुमस्तिष्क के सामने का ऊपर का भाग मध्यमस्तिक और नीचे का भाग मेरूशीर्ष (Medulla oblongata) है। अनुमस्तिष्क और प्रमस्तिष्क का संबंध मध्यमस्तिष्क द्वारा स्थापित होता है।
आदिम-युग से आगे बढ़कर मनुष्य ने अब तक जो आश्चर्यजनक प्रगति की हैं, उसके मूल में मानवीय-मस्तिष्क की सक्रिय-भूमिका ही हैं। यदि मनुष्य में मस्तिष्क न होता तो वह किसी चलते-फिरते जानवर या पेड़-पौधें से अधिक अच्छी स्थित में नहीं होता।
जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) कहते हैं। तंत्रिकातंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलनेवाली तंत्रिकाओं की गणना की जाती है।
मस्तिष्क जन्तुओं के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण केन्द्र है। यह उनके आचरणों का नियमन एंव नियंत्रण करता है। स्तनधारी प्राणियों में मस्तिष्क सिर में स्थित होता है तथा खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है।
मस्तिष्क एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है, जो करोटि या खोपड़ी (Scale) के भीतर कपाल (Skull) में स्थित होता है। इसका वज़न 1200-1400 gm होता है। तथा इसकी क्षमता 1350cc होती है।
हमारे बड़े बुज़ुर्ग हमेशा ये बात कहते हैं कि मानव चाहे जितनी प्रगति कर ले लेकिन वो ईश्वर नहीं बन सकता। यानि जो चीज़ें प्रकृति ने अपने हाथ में रखी हैं उनमें किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। ना ही वैसी चीज़ें वो पैदा कर सकता है।
अनुमस्तिष्क के सामने का ऊपर का भाग मध्यमस्तिक और नीचे का भाग मेरूशीर्ष (Medulla oblongata) है। अनुमस्तिष्क और प्रमस्तिष्क का संबंध मध्यमस्तिष्क द्वारा स्थापित होता है।
आदिम-युग से आगे बढ़कर मनुष्य ने अब तक जो आश्चर्यजनक प्रगति की हैं, उसके मूल में मानवीय-मस्तिष्क की सक्रिय-भूमिका ही हैं। यदि मनुष्य में मस्तिष्क न होता तो वह किसी चलते-फिरते जानवर या पेड़-पौधें से अधिक अच्छी स्थित में नहीं होता।