कृषि में कुछ ही विषय होंगे जिन पर इतने अधिक विरोधाभासी मत हैं। जेनेटिक इंजीनियरिंग (जीई), एक जीव की आनुवंशिक सामग्री में अन्य प्रजातियों के जींस को शामिल करके, वांछित लक्षण पैदा करने की कोशिश है, जैसे कीट-प्रतिरोधकता या सूखे के प्रति सहिष्णुता।
अनुवंशिक अभियांत्रिकी किसी जीव के संजीन में हस्तक्षेप कर के उसे परिवर्तित करने की तकनीकों व प्रणालियों - तथा उनमें विकास व अध्ययन की चेष्टा - का सामूहिक नाम है।
वसुरक्षा की चिंताओं ने विभिन्न देशों में अनुसंधान, परीक्षण और सुरक्षित उपयोग एवं जीएमओ और उसके उत्पादों के निपटाने के लिए नियामक व्यवस्था के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है ।
नुवांशिक रूप से संशोधित जीव को जीवों (जैसे कि पौधे, जानवर या सूक्ष्म जीवों) के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है जिसमे आनुवांशिक पदार्थ (डीएनए) को इस तरह से संशोधित किया जाता है जो प्राकृतिक रूप से संसर्ग क्रिया / या प्राकृतिक पुनर्संयोजन की क्रिया से उत्पन्न नहीं होता।
जेनेटिक इंजीनियरिंग विज्ञान की एक अत्याधुनिक ब्रांच है, जिसमें सजीव प्राणियों के डीएनए कोड में मौजूद जेनेटिक को अत्याधुनिक तकनीक के जरिए परिवर्तित किया जाता है।
दुनिया की आबादी बढ़ती है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को तेज राहत में आने के रूप में, हम कम कृषि योग्य भूमि का उपयोग कर अधिक लोगों को खिलाने के लिए होगा।
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2050 तक गेंहू का 60 प्रतिशत उत्पादन बढ़ाना होगा. iमौसम में बदलाव के कारण फसलें अक्सर बर्बाद हो जाती हैं. कहीं भयानक सूखा तो कहीं बिन मौसम बरसात फसलों को नष्ट कर देती है.I
अनुवंशिक अभियांत्रिकी किसी जीव के संजीन में हस्तक्षेप कर के उसे परिवर्तित करने की तकनीकों व प्रणालियों - तथा उनमें विकास व अध्ययन की चेष्टा - का सामूहिक नाम है।
वसुरक्षा की चिंताओं ने विभिन्न देशों में अनुसंधान, परीक्षण और सुरक्षित उपयोग एवं जीएमओ और उसके उत्पादों के निपटाने के लिए नियामक व्यवस्था के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है ।
नुवांशिक रूप से संशोधित जीव को जीवों (जैसे कि पौधे, जानवर या सूक्ष्म जीवों) के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है जिसमे आनुवांशिक पदार्थ (डीएनए) को इस तरह से संशोधित किया जाता है जो प्राकृतिक रूप से संसर्ग क्रिया / या प्राकृतिक पुनर्संयोजन की क्रिया से उत्पन्न नहीं होता।
जेनेटिक इंजीनियरिंग विज्ञान की एक अत्याधुनिक ब्रांच है, जिसमें सजीव प्राणियों के डीएनए कोड में मौजूद जेनेटिक को अत्याधुनिक तकनीक के जरिए परिवर्तित किया जाता है।
दुनिया की आबादी बढ़ती है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को तेज राहत में आने के रूप में, हम कम कृषि योग्य भूमि का उपयोग कर अधिक लोगों को खिलाने के लिए होगा।
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2050 तक गेंहू का 60 प्रतिशत उत्पादन बढ़ाना होगा. iमौसम में बदलाव के कारण फसलें अक्सर बर्बाद हो जाती हैं. कहीं भयानक सूखा तो कहीं बिन मौसम बरसात फसलों को नष्ट कर देती है.I