पृथ्वी ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा (मिट्टी / soil) कहते हैं। ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय: चट्टान (शैल) पाई जाती है।
प्राकृतिक चिकित्सा में माटी का प्रयोग कई रोगों के निवारण में प्राचीन काल से ही होता आया है। नई वैज्ञानिक शोध में यह प्रमाणित हो चुका है कि माटी चिकित्सा की शरीर को तरो ताजा करने जीवंत और उर्जावान बनाने में महती उपयोगिता है।
कणों के आधार पर मिट्टी को कई वर्गों में बांटा जा सकता है। मिट्टी के किसी नमूने में उपस्थित विभिन्न खनिज-कणों के आकार के आधार बनाकर यह वर्गीकरण किया जाता है Iअधिक जानकारी जानने के लिए आगे पढ़ें।
भारत की मिट्टियाँ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी ...मिट्टी कितने प्रकार की होती है ... मिट्टी का महत्व, जलोढ़ मिट्टी ,काली मिट्टी ,की विशेषता ....अधिक जानने के लिए, आगे पढ़ें।
मृदा-अपरदन अथवा भूमि-कटाव भारत की गंभीर समस्या है। मृदा अपरदन के कारण मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ सतह का क्षय होने लगता है। मृदा-अपरदन का अर्थ है मृदा कणों का किसी भी वाह्य कारणों जैसे तेज हवा, वर्षा या भूस्खलन द्वारा मिट्टी का स्थानान्तरण होना।
बायोफ़र्टिलाइज़र को जीवाणु खाद भी कहते है क्योंकी बायो फ़र्टिलाइज़र एक जीवित उर्वरक है, जिसमें सूक्ष्मजीव विद्यमान होते है जो फसलों में बायो फ़र्टिलाइज़र इस्तेमाल करने से वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन पौधों को अमोनिया के रूप में आसानी से उपलब्ध होती है I
भारत की मृदा सम्पदा पर देश के उच्चावच तथा जलवायु का व्यापक प्रभाव परिलक्षित होता है। देश में इनकी विभिन्नताओं के कारण ही अनेक प्रकार की मिट्टियाँ पायी जाती हैं।अधिक जानकारी जानने के लिए आगे पढ़ें।
पृथ्वी ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा (मिट्टी / soil) कहते हैं। ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय: चट्टान (शैल) पाई जाती है।
प्राकृतिक चिकित्सा में माटी का प्रयोग कई रोगों के निवारण में प्राचीन काल से ही होता आया है। नई वैज्ञानिक शोध में यह प्रमाणित हो चुका है कि माटी चिकित्सा की शरीर को तरो ताजा करने जीवंत और उर्जावान बनाने में महती उपयोगिता है।
कणों के आधार पर मिट्टी को कई वर्गों में बांटा जा सकता है। मिट्टी के किसी नमूने में उपस्थित विभिन्न खनिज-कणों के आकार के आधार बनाकर यह वर्गीकरण किया जाता है Iअधिक जानकारी जानने के लिए आगे पढ़ें।
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मृदा-अपरदन अथवा भूमि-कटाव भारत की गंभीर समस्या है। मृदा अपरदन के कारण मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ सतह का क्षय होने लगता है। मृदा-अपरदन का अर्थ है मृदा कणों का किसी भी वाह्य कारणों जैसे तेज हवा, वर्षा या भूस्खलन द्वारा मिट्टी का स्थानान्तरण होना।
बायोफ़र्टिलाइज़र को जीवाणु खाद भी कहते है क्योंकी बायो फ़र्टिलाइज़र एक जीवित उर्वरक है, जिसमें सूक्ष्मजीव विद्यमान होते है जो फसलों में बायो फ़र्टिलाइज़र इस्तेमाल करने से वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन पौधों को अमोनिया के रूप में आसानी से उपलब्ध होती है I
भारत की मृदा सम्पदा पर देश के उच्चावच तथा जलवायु का व्यापक प्रभाव परिलक्षित होता है। देश में इनकी विभिन्नताओं के कारण ही अनेक प्रकार की मिट्टियाँ पायी जाती हैं।अधिक जानकारी जानने के लिए आगे पढ़ें।