त्यधिक चुम्बकीय, बहुत तेज घूर्णन करने वाले न्यूट्रॉन तारे हैं, जो की विद्युतचुम्बकीय विकरण उतपन्न करते हैं। इनका विकरण तभी आभासित होता है जब विकरण पैदा होने की दिशा प्रथ्वी की ओर हो।
न्यूट्रॉन तारा किसी भारी तारे के महानोवा (सुपरनोवा) घटना (प्रकार- २, 1b एवं 1c) के बाद उसके गुरुत्वीय पतन से बना हुआ अवशेष होता है।[1] यह तारे केवल न्यूट्रॉन के बने होते हैं। इनका आकार बहुत छोटा मगर द्रव्यमान बहुत ज्यादा होता है।
ब्रह्मांड में पाए जाने वाला सबसे छोटा तारा न्यूट्रॉन तारा होता है, इसका व्यास 12.5 यानी कि केवल 20 किलोमीटर होता है, यह ब्रह्मांड का एक ताकतवर तारा
होता है I
पल्सर PSR J0002 + 6216 को सुपरनोवा द्वारा अविश्वसनीय गति से निकाला गया था – 2 अप्रैल, 2019 की खबर – पल्सर और सुपरनोवा जुड़े हुए हैं क्योंकि एक सुपरनोवा पल्सर को जन्म दे सकता है। जब कुछ बड़े तारे अपने जीवन के अंत में पहुंचते हैं, तो उनका हाइड्रोस्टेटिक संतुलन टूट जाता है।
त्यधिक चुम्बकीय, बहुत तेज घूर्णन करने वाले न्यूट्रॉन तारे हैं, जो की विद्युतचुम्बकीय विकरण उतपन्न करते हैं। इनका विकरण तभी आभासित होता है जब विकरण पैदा होने की दिशा प्रथ्वी की ओर हो।
न्यूट्रॉन तारा किसी भारी तारे के महानोवा (सुपरनोवा) घटना (प्रकार- २, 1b एवं 1c) के बाद उसके गुरुत्वीय पतन से बना हुआ अवशेष होता है।[1] यह तारे केवल न्यूट्रॉन के बने होते हैं। इनका आकार बहुत छोटा मगर द्रव्यमान बहुत ज्यादा होता है।
ब्रह्मांड में पाए जाने वाला सबसे छोटा तारा न्यूट्रॉन तारा होता है, इसका व्यास 12.5 यानी कि केवल 20 किलोमीटर होता है, यह ब्रह्मांड का एक ताकतवर तारा
होता है I
पल्सर PSR J0002 + 6216 को सुपरनोवा द्वारा अविश्वसनीय गति से निकाला गया था – 2 अप्रैल, 2019 की खबर – पल्सर और सुपरनोवा जुड़े हुए हैं क्योंकि एक सुपरनोवा पल्सर को जन्म दे सकता है। जब कुछ बड़े तारे अपने जीवन के अंत में पहुंचते हैं, तो उनका हाइड्रोस्टेटिक संतुलन टूट जाता है।