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धरती की ओर बढ़ रहा है एक ऐस्टरॉयड, सभी स्पेस एजेंसियां तैयारियों में जुटीं I
अगर भविष्य में कोई खगोलीय पिंड धरती से टकराता है, तो उस खतरे से बचाव करने के लिए दुनिया कितनी तैयार है इसका जवाब जल्द मिल जाएगा। अक्टूबर में एक ऐस्टरॉयड धरती के पास से गुजरेगा। NASA सहित दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां टेस्ट करेंगी कि ऐसे खतरों से निपटने के लिए वे कितनी तैयार हैं।
https://navbharattimes.indiatimes.com/world/science-news/asteroid-to-flyby-near-earth-in-october-space-agencies-of-the-world-including-nasa-will-test-planetary-defense-in-threats-like-this/articleshow/59876915.cms
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सोमवार को सूर्यास्त से पहले होगी खगोलीय घटना - जनसमाचार
सोमवार को सूर्यास्त से पहले होगी I बुध पारगमन पूरी शताब्दी में औसतन 13 से 14 बार घटित होती है, लिहाजा यदि इसे देखने से चूक गए तो दोबारा यह खगोलीय घटना वर्ष 2019 में ही दिखाई देगी।
https://www.jansamachar.com/others/%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%B9/
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पुणे की कंपनी ने बनाई सौर ऊर्जा चालित सिंचाई प्रणाली I
भारत की विविध जलवायु दशाओं किसानों के लिए पानी के संकट की समस्या का समाधान करने के लिए पुणे कंपनी खेथवर्क्स ने सौर ऊर्जा चालित सिंचाई प्रणाली विकसित की है।
https://hindi.theindianwire.com/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%A3%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A5%80-162714/
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नई सौर संचालित प्रणाली हवा से बना सकती है पानी I
वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण खोज करते हुए नवीन सौर संचालित संचयन प्रणाली विकसित की है जो हवा की नमी को सोखती है और उसे स्वच्छ एवं उपयोग के योग्य जल में परिवर्तित करती है। इसका उपयोग आपदा वाली स्थितियों, जल संकटों या गरीबी वाले इलाकों और विकासशील देशों में किया जा सकता है।
https://navbharattimes.indiatimes.com/india/new-solar-powered-system-can-make-water-by-air/articleshow/68427105.cms
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इंटरस्टेलर वस्तुओं और समाचार के बारे में सब कुछ 2019 I
क्षुद्रग्रह 2015 BZ509 एक और प्रणाली से आ सकता है – 22 मई, 2018 की खबर – Oumuamua सौर प्रणाली में पता चला पहला इंटरस्टेलर वस्तु है। इसके आकार और रंग ने खगोल भौतिकविदों को चुनौती दी।
https://www.fromspacewithlove.com/hi/interstellar-objects-hi/
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दिसम्बर २६, २०१९ सूर्य ग्रहण I
यह पृष्ठ Woodbridge, New Jersey, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए दिसम्बर २६, २०१९ के दिन सूर्य ग्रहण का समय उपलब्ध कराता है। DST को समायोजित करने के बाद सूर्य ग्रहण के सभी चरणों को स्थानीय समय के अनुसार सूचीबद्ध किया गया है। इसके साथ ही खग्रास ग्रहण और परमग्रास ग्रहण का समय सूचीबद्ध किया गया है।
https://hi.drikpanchang.com/eclipse/solar-eclipse-date-time-duration.html
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बुधवार की रात अपना रूप बदलकर दिखाई देगा चाँद I
खगोलीय घटना, चंद्रग्रहण, चन्द्रमा, ब्लड मून, सुपर मून, सूर्य, सौरमंडल, उसके बारे में अधिक जानने के लिए, आगे पढ़ें।
https://www.newstrend.news/116708/tomorrow-moon-will-change-his-color/
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खग्रास चन्द्र ग्रहण - शब्द (shabd.in)
आज आषाढ़ शुक्लपूर्णिमा को कुछ ही देर बाद भारत के साथ साथ संसार के कई देश एक ऐसी अद्भुत खगोलीयघटना के साक्षी बनने जा रहे हैं जो खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार अब काफ़ी वर्षों तकनहीं दीख पड़ेगी | इस भव्य घटना को नासा के खगोल वैज्ञानिकों ने नाम दिया है Super Blue Blood Moon ....
https://shabd.in/post/89565/chandr-grahan
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प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान I
जाने प्राचीन भारतीय वैदिक खगोल विज्ञान को विस्तार से .....
http://www.vedicpress.com/ancient-astronomy/
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भारत का प्राचीन खगोल विज्ञान और वैज्ञानिक - Net In Hindi.com
भारतीय खगोल शास्त्र का इतिहास बहुत पुराना है, इसकी जड़ें सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक काल तक जाती है, 1500 ईसा पूर्व खगोल शास्त्र को वैदिक युग में वेदों के अध्ययन के एक हिस्से के रूप में जोड़ लिया गया था, सबसे पुराना खगोल शास्त्र का ग्रंथ वेदांग ज्योतिष हे जिसे 1200 ईसापूर्व लिखा गया था. .ईसा से 400 वर्ष पूर्वभारतीय ज्योतिष पर ग्रीक खगोल शास्त्र का भी बहुत असर पड़ा ईसा पूर्व दूसरी सदी में ग्रीक ग्रंथों का अनुवाद हमें संस्कृत में मिलता है जिनमें यवन जातक और रोमाका सिद्धांत नाम के ग्रंथ प्रमुख हैं.
https://netinhindi.com/ancient-astronomy-in-india-in-hindi/
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खगोल विज्ञान का अनुपम उदाहरण
विज्ञान अपने आप में बड़ा अनोखा और अनूठा विषय है। यहां तर्क-वितर्क के लिए कोई स्थान नहीं है, यहां केवल सटीक गणितीय आधार है। जो अपने आपको पूरी तरह परिभाषित करता है।
https://www.hindisaamana.com/%E0%A4%96%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A4%AE-%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A4%BE/
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कल आकाश में होंगी दो दुर्लभ खगोलीय घटनाएँ | Hindi Water Portal
नई दिल्ली। रात में आकाश को निहारने में रुचि रखने वालों को कल दो दुर्लभ खगोलीय घटनाएँ देखने को मिल सकती हैं। एक तरफ दुनिया भर में लोग सदी के सबसे लम्बी अवधि के पूर्ण चंद्रग्रहण का इन्तजार कर रहे हैं तो दूसरी ओर उन्हें इसी तरह की एक अन्य दुर्लभ खगोलीय घटना भी देखने को मिल सकती है।
https://hindi.indiawaterportal.org/Lunar-eclipse-rare-planetary-happenings
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शनि खगोलीय और पौराणिक, ज्योतिषीय दृष्टिकोण
सूर्य कि परिक्रमा करने वाले ग्रहों में शनि कि कक्षा षष्ट है। सूर्य से शनि कि औसत दूरी ८८६० लाख मील है तथा इसका व्यास १४००० मील है। इसका घनत्व पानी से कम है।
http://www.futuresamachar.com/hi/saturn-astronomical-and-mythological-astrological-approach-1747
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खगोलीय स्पेक्ट्रमिकी पृष्ठभूमि और प्रारंभिक शोध - Youth Education Hub
खगोलीय स्पेक्ट्रमिकी वह विज्ञान है जिसका उपयोग आकाशीय पिंडों के परिमंडल की भौतिक अवस्थाओं के अध्ययन के लिए किया जाता है। खगोल भौतिकविद् के लिए आकाशीय पिंडों के परिमंडल की भौतिक अवस्थाओं के अध्ययन का यह एकमात्र साधन है।
https://yexpress.blogspot.com/2015/07/blog-post_28.html