पुरातात्विक वस्तुओं की खोज की विधि खजानों तथा कलाकृतियों की एक अपरिपक्व खोज से प्रारंभ होता है जो "दुर्लभ कलाकृति" की श्रेणी में आते थे। पुरातात्विक महत्त्व ...
रेडियोकार्बन डेटिंग या कार्बन डेटिंग एक पूर्ण विधि है जिसे “एब्सोल्यूट डेटिंग” के नाम से भी जाना जाता है। नाम के बावजूद, यह कार्बनिक पदार्थ की एब्सोल्यूट डेट नहीं देता है – लेकिन अनुमानित आयु, आमतौर पर कुछ वर्षों की सीमा के भीतर दे देता है।
रेडियो कार्बन-14 कालनिर्धारण विधि - सभी सजीव वस्तुओं में एक प्रकार का रेडियोधर्मी कार्बन होता है, जिसे कार्बन-14 कहते हैं। कार्बन-14 डेटिंग द्वारा पुरातत्व कालीन जीव जन्तुओं के अवशेषों द्वारा आयु, समय का निर्धारण किया जाता है। इसके लिए कार्बन-12 और कार्बन-14 के मध्य अनुपात का उपयोग करते हैं।
वैज्ञानिक विधि से उम्र ज्ञात करने साइंस कॉलेज के प्रोफेसर कर चुके हैं शोध, मल्हार के बर्तन सबसे अधिक 1340 साल पुराने | पुरातत्व खुदाई से निकले मिट्टी के बर्तनों की सही उम्र पता लगाई जा सकती है। इससे संबंधित शोध साइंस कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. आरएस खेर कर चुके हैं।
पुरातात्विक वस्तुओं की खोज की विधि खजानों तथा कलाकृतियों की एक अपरिपक्व खोज से प्रारंभ होता है जो "दुर्लभ कलाकृति" की श्रेणी में आते थे। पुरातात्विक महत्त्व ...
रेडियोकार्बन डेटिंग या कार्बन डेटिंग एक पूर्ण विधि है जिसे “एब्सोल्यूट डेटिंग” के नाम से भी जाना जाता है। नाम के बावजूद, यह कार्बनिक पदार्थ की एब्सोल्यूट डेट नहीं देता है – लेकिन अनुमानित आयु, आमतौर पर कुछ वर्षों की सीमा के भीतर दे देता है।
रेडियो कार्बन-14 कालनिर्धारण विधि - सभी सजीव वस्तुओं में एक प्रकार का रेडियोधर्मी कार्बन होता है, जिसे कार्बन-14 कहते हैं। कार्बन-14 डेटिंग द्वारा पुरातत्व कालीन जीव जन्तुओं के अवशेषों द्वारा आयु, समय का निर्धारण किया जाता है। इसके लिए कार्बन-12 और कार्बन-14 के मध्य अनुपात का उपयोग करते हैं।
वैज्ञानिक विधि से उम्र ज्ञात करने साइंस कॉलेज के प्रोफेसर कर चुके हैं शोध, मल्हार के बर्तन सबसे अधिक 1340 साल पुराने | पुरातत्व खुदाई से निकले मिट्टी के बर्तनों की सही उम्र पता लगाई जा सकती है। इससे संबंधित शोध साइंस कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. आरएस खेर कर चुके हैं।